केदारनाथ उपचुनाव: कांग्रेस ने मनोज रावत को चुना प्रत्याशी, भाजपा से आशा नौटियाल की उम्मीदवारी लगभग तय-Newsnetra


केदारनाथ उपचुनाव: कांग्रेस और भाजपा की प्रत्याशी चयन में जद्दोजहद
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां चरम पर हैं। लंबे विचार-विमर्श और कयासों के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर से अपने पुराने चेहरे और पूर्व विधायक मनोज रावत पर भरोसा जताया है। कांग्रेस का यह निर्णय पहले से अपेक्षित था क्योंकि मनोज रावत क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं और जनता के बीच अपनी उपस्थिति को बनाए रखा है। कांग्रेस द्वारा उन्हें टिकट देना पार्टी के उनके प्रति विश्वास को प्रदर्शित करता है।
कांग्रेस का निर्णय: मनोज रावत का चयन
कांग्रेस ने केदारनाथ उपचुनाव में अपने प्रत्याशी के रूप में एक बार फिर से मनोज रावत का चयन किया है। मनोज रावत, जो पूर्व में कांग्रेस विधायक रह चुके हैं, क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय रहे हैं। उनकी लोकप्रियता और जनता के साथ उनके संवाद को देखते हुए पार्टी ने उन्हें इस बार फिर मौका देने का निर्णय लिया। कांग्रेस की रणनीति स्पष्ट है—वह एक स्थानीय और अनुभवी चेहरे पर दांव खेलना चाहती है, जो जनता में अपनी पकड़ बनाए हुए है।
भाजपा में असमंजस: उम्मीदवारों के बीच तीखी प्रतिस्पर्धा
वहीं, दूसरी ओर भाजपा के लिए यह निर्णय लेना आसान नहीं है कि टिकट किसे दिया जाए। भाजपा के पास तीन प्रमुख दावेदार हैं—शैलपुत्री ऐश्वर्या रावत, आशा नौटियाल, और कुलदीप रावत। इन तीनों में से किसी एक को चुनना भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण बन गया है, क्योंकि सभी उम्मीदवारों के पक्ष में विभिन्न समीकरण और समर्थन हैं।
ऐश्वर्या रावत की उम्मीदवारी पर संशय
शैलपुत्री ऐश्वर्या रावत का टिकट तब संकट में आ गया, जब शैलारानी रावत के दत्तक पुत्र जयदीप सिंह वर्तवाल ने भी टिकट की दावेदारी पेश की। ऐश्वर्या रावत के टिकट पर जयदीप वर्तवाल की चुनौती से एक धुंधलापन सा छा गया है, जिससे पार्टी के लिए स्थिति और जटिल हो गई है। अब सवाल यह उठता है कि क्या जयदीप वर्तवाल ने स्वयं यह दावेदारी की है या उनके पीछे कोई अन्य व्यक्ति भी है।
कुलदीप सिंह रावत: जनसमर्थन के बावजूद संघ की सहमति नहीं
कुलदीप सिंह रावत, जो हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं, अपने क्षेत्र में एक मजबूत जनाधार के कारण एक प्रमुख उम्मीदवार माने जा रहे हैं। लेकिन संघ संगठन से उनके पक्ष में समर्थन नहीं बन पाने के कारण उनकी उम्मीदवारी को लेकर संदेह बना हुआ है। इसके अलावा, कुलदीप रावत और ऐश्वर्या रावत द्वारा सोशल मीडिया पर दिए गए बयान और साक्षात्कारों ने उनकी दावेदारी को कमजोर कर दिया है।
आशा नौटियाल: एक संभावित चेहरा
आशा नौटियाल का नाम भाजपा के संभावित प्रत्याशियों में सबसे प्रबल माना जा रहा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने आशा नौटियाल से 2027 में टिकट का वादा किया था, लेकिन शैलारानी रावत के आकस्मिक निधन से यह सीट खाली हो गई, जिससे आशा नौटियाल अब अपनी दावेदारी को लेकर आश्वस्त हैं। उनकी सरलता, लोकप्रियता, और प्रदेश के महिला मोर्चा में सक्रियता उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है। आशा नौटियाल का साधारण व्यवहार और गांव में अधिक समय बिताने का स्वभाव उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाता है।
भाजपा का सामंजस्य प्रयास: क्या ऐश्वर्या और कुलदीप को मनाने में होगी सफलता?
भाजपा के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह कैसे ऐश्वर्या रावत और कुलदीप रावत को संतुष्ट करती है। यदि पार्टी आशा नौटियाल को टिकट देने का निर्णय लेती है, तो अन्य दो दावेदारों के साथ सामंजस्य बनाना आवश्यक होगा ताकि पार्टी में अंदरूनी कलह न हो।
निष्कर्ष
केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस ने अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी है, जबकि भाजपा के भीतर टिकट को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। जहां कांग्रेस ने एक अनुभवी और लोकप्रिये नेता को चुना है, वहीं भाजपा अभी भी अपने संभावित उम्मीदवारों के बीच सामंजस्य बनाने के प्रयास में जुटी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा किसे टिकट देती है और यह चुनावी समर किस ओर रुख करता है।