हरिद्वार के मंसा देवी मंदिर में भगदड़: 8 श्रद्धालुओं की मौत, 30 से अधिक घायल-Newsnetra


श्रावण मास की भारी भीड़ में अफवाह ने ली भयावह रूप; मुख्यमंत्री ने दिए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश
हरिद्वार, 27 जुलाई 2025।
श्रावण मास के पावन अवसर पर हरिद्वार स्थित प्रसिद्ध मंसा देवी मंदिर में रविवार सुबह करीब 9 बजे अचानक मची भगदड़ ने एक धार्मिक उत्सव को त्रासदी में बदल दिया। हादसे में 8 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई जबकि 30 से अधिक लोग घायल हो गए। मृतकों में महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल हैं।
qaa
🔹 कैसे हुआ हादसा?
घटनास्थल पर मौजूद लोगों के अनुसार, मंदिर की सीढ़ियों पर चढ़ते समय अचानक अफवाह फैल गई कि वहां कोई बिजली का तार गिर गया है या किसी को करंट लग रहा है। इस अफवाह के बाद श्रद्धालुओं में दहशत फैल गई और अफरा-तफरी मच गई। कई लोग संतुलन खो बैठे और एक-दूसरे पर गिरने लगे, जिससे भगदड़ की स्थिति बन गई।
हालांकि, UPCL (उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड) द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में किसी भी प्रकार की विद्युत गड़बड़ी या करंट लीक की पुष्टि नहीं हुई है। मंदिर प्रबंधन का कहना है कि यह हादसा भीड़ में किसी के फिसलने से शुरू हुआ और फिर अफवाह ने उसे बढ़ा दिया।
🔹 SDRF और पुलिस की त्वरित कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही SDRF (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल), स्थानीय पुलिस और जिला प्रशासन की टीमें घटनास्थल पर पहुंच गईं और राहत एवं बचाव कार्य प्रारंभ कर दिया गया। घायलों को तत्काल हरिद्वार जिला अस्पताल और कुछ गंभीर मामलों को AIIMS ऋषिकेश में भर्ती कराया गया है।
🔹 मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस दुखद घटना पर गहरा शोक प्रकट किया है और तत्काल मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही, मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से संवेदना व्यक्त की है और कहा है कि केंद्र सरकार उत्तराखंड प्रशासन को हरसंभव सहायता उपलब्ध कराएगी।
🔹 भीड़ प्रबंधन पर उठे सवाल
श्रावण मास में हरिद्वार के धार्मिक स्थलों, विशेषकर मंसा देवी मंदिर में, भारी भीड़ उमड़ती है। बावजूद इसके, भीड़ नियंत्रण व्यवस्था की कमी और प्रभावी प्रबंधन की अनुपस्थिति ने इस हादसे को और भयावह बना दिया।
स्थानीय श्रद्धालुओं और समाजसेवियों ने मंदिर प्रबंधन और प्रशासन से सवाल किए हैं कि सीढ़ियों जैसे संकरे मार्गों पर भीड़ नियंत्रण की बेहतर व्यवस्था क्यों नहीं की गई?
🔹 घटना के बाद का माहौल
घटनास्थल पर अभी भी अफरा-तफरी का माहौल है। पुलिस ने क्षेत्र को सील कर दिया है और आम जन को अन्य मार्गों से मंदिर जाने की सलाह दी है। जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और शांति बनाए रखें।
🕯️ श्रद्धांजलि
यह हादसा न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के लिए एक धार्मिक उत्सव में सुरक्षा प्रबंधन की आवश्यकता की ओर ध्यान आकृष्ट करता है। श्रद्धालु भावनाओं के साथ-साथ प्रशासनिक व्यवस्था का संतुलन बनाए रखना अब एक प्राथमिक चुनौती बन गया है।