समाज कल्याण विभाग की कोऑर्डिनेटर भर्ती पर विवाद: RRP अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने शर्तों को बताया पक्षपातपूर्ण, सरकार से जांच की मांग
देहरादून, सितंबर 2025।
उत्तराखंड समाज कल्याण विभाग द्वारा हाल ही में जारी की गई कोऑर्डिनेटर भर्ती विज्ञप्ति को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी (RRP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने इस भर्ती की शर्तों पर गंभीर सवाल उठाए हैं और सरकार से इस प्रक्रिया की जांच की मांग की है।


आयु सीमा और अनुभव पर सवाल
सेमवाल ने विज्ञप्ति में तय मानकों को अनुचित बताते हुए कहा कि भर्ती के लिए न्यूनतम आयु सीमा 30 वर्ष रखी गई है और अनुभव मात्र 6 माह मांगा गया है, जबकि इस पद के लिए ₹1 लाख मासिक वेतन निर्धारित किया गया है। उनका तर्क है कि इतनी ऊँची वेतन वाली पोस्ट के लिए अधिक आयु और पर्याप्त अनुभव की आवश्यकता होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “यदि विभाग 40–45 वर्ष आयु सीमा और कम से कम 5–6 वर्ष का विभागीय अनुभव निर्धारित करता, तो अधिक योग्य और अनुभवी उम्मीदवारों को अवसर मिलता और भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल नहीं उठते।”
शैक्षणिक पात्रता पर उठी आपत्ति
RRP अध्यक्ष ने यह भी आपत्ति जताई कि भर्ती केवल देश के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों से शिक्षा प्राप्त अभ्यर्थियों के लिए खोली गई है। उनके अनुसार, यह शर्त उत्तराखंड के स्थानीय छात्रों के हितों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों से पढ़ाई करने वाले अधिकांश युवा इस भर्ती में आवेदन से वंचित रह जाएंगे, जिससे स्थानीय प्रतिभाओं के साथ भेदभाव होगा।
अधिकारियों के समक्ष आपत्ति दर्ज
सेमवाल ने बताया कि उन्होंने इस मामले में समाज कल्याण सचिव श्रीधर बाबू अदांकी को लिखित में शिकायत दी है। अदांकी ने उन्हें आश्वासन दिया कि भर्ती प्रक्रिया को रोककर शर्तों की समीक्षा की जाएगी।
इसके अतिरिक्त, सेमवाल ने समाज कल्याण निदेशक चंद्र सिंह धर्मसत्तू से भी मुलाकात कर आपत्तियां दर्ज कराईं। निदेशक ने भी भर्ती की प्रक्रिया और मानकों की जांच कराने का भरोसा दिया है।
सरकार से सख्त जांच की मांग
RRP अध्यक्ष ने उत्तराखंड सरकार से भर्ती विज्ञप्ति की मंशा और पारदर्शिता की जांच करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित होना चाहिए कि यह प्रक्रिया किसी विशेष उम्मीदवारों को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से तो नहीं की गई। सेमवाल ने कहा कि राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्थानीय योग्य युवाओं के अधिकार सुरक्षित रहें और किसी भी भर्ती प्रक्रिया में पक्षपात न हो।
स्थानीय युवाओं में असंतोष
भर्ती की शर्तों के कारण प्रदेश के स्थानीय युवाओं में नाराज़गी देखी जा रही है। कई युवा संगठनों ने भी इसे असमान अवसर का उदाहरण बताते हुए सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना शुरू कर दी है।
आगे की राह
अब नजरें राज्य सरकार और समाज कल्याण विभाग पर हैं कि वे इस विवादित भर्ती प्रक्रिया पर क्या निर्णय लेते हैं। अगर शर्तों की समीक्षा की जाती है, तो इससे स्थानीय युवाओं के लिए अवसर बढ़ सकते हैं और विवाद शांत हो सकता है।