न्यूज नेत्रा, मीडिया हाउस News Netra.com
बूढ़े मां-बाप के आंखों में जो आंसू थे उनमें बेटी की बहादुरी का गौरव साफ झलक रहा था। बेशक, बेटी के न होने का गम भी इन आंखों में था लेकिन मरणोपरांत बेटी को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला तो आंसू छलक उठे। दरअसल, उत्तराखंड की बेटी पर्वतारोही सविता कंसवाल को मरणोपरांत तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार से सम्मानित मिला है।
सविता के पिता ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने उनके पिता राधेश्याम कंसवाल को ये सम्मान दिया। माहौल ऐसा था कि जैसे ही सविता कंसवाल का हॉल में नाम लिया तो उनके बूढ़े माता पिता और परिजनों की आंखों में आंसू आ गए। पिता ने किसी तरह खुद को संभाला और पुरस्कार ग्रहण किया।
विदित हो कि उत्तरकाशी के द्रौपदी का डांडा में हुए हिमस्खलन में निम की ट्रेनर 26 वर्षीय सविता कंसवाल की भी मौत हो गई थी। सविता के नाम केवल 16 दिनों में माउंट एवरेस्ट और माउंट मकालू पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला बनने का राष्ट्रीय रिकॉर्ड है।
सविता उत्तरकाशी जिले के लोंथरू गांव की रहने वाली थी। जो कि एक गरीब घर की बेटी थी। सविता अपने घर और परिजनों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आई थी। लेकिन इस तरह बहुत छोटी उम्र में इस तरह दुनिया से चले जाने पर उनके माता पिता का सहारा ही छीन लिया। जब बेटी को बहादुरी के लिए अवॉर्ड मिला तो सबकी आंखे एक बार फिर गमगीन हो गई।