News Netra. aiims news,, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में आयोजित भारतीय सांस्कृतिक चिकित्सा पद्धति एवं वैदिक परंपरा के आधार पर महिलाओं के समग्र स्वास्थ्य के लिए छठा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुक्रवार को संपन्न हो गया। इस दौरान विशेषज्ञों ने अपने व्याख्यान में योग, आयुर्वेद एवं यज्ञ को जीवन में आत्मसात करने और दिनचर्या का हिस्सा बनाने पर जोर दिया।
संस्थान की निदेशक एवं सीईओ प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह की देखरेख में एम्स के आयुष विभाग व श्रीराम योग सोसाइटी की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन प्रात:कालीन सत्र में प्रतिभागियों को योगाभ्यास कराया गया। इस सत्र में सम्मेलन में देश-दुनिया से जुटे प्रतिभागियों,जिज्ञासुओं के साथ साथ एम्स के एमबीबीएस व नर्सिंग के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।
इस अवसर पर कार्यकारी निदेशक एम्स प्रोफेसर मीनू सिंह ने कहा कि इस कांफ्रेंस की शुरुआत यज्ञ से होना बेहद सार्थक रहा। उन्होंने कहा कि यह विषय महज दो दिनी नहीं है बल्कि इस दिशा में सततरूप से कार्य किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने सम्मेलन के तहत यज्ञ के आयोजन में भाग लेने वाले लोगों से योग, यज्ञ व आयुर्वेद को आगे बढ़ाने का संकल्प लेने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि प्राचीन पद्धतियों को आगे बढ़ाने के लिए सभी का योगदान सुनिश्चित होना चाहिए।
आयुष विभाग में स्थापित इंटीग्रेटिव मेडिसिन सेंटर के माध्यम से हम एम्स ऋषिकेश में अनुसंधान के क्षेत्र में काम जारी रखेंगे।
दूसरे दिन के योग यज्ञ एवं आयुर्वेद विषयक मुख्य सत्र में संस्थान की सीएफएम व आयुष विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वर्तिका सक्सेना ने महिलाओं के लिए योग, यज्ञ एवं आयुर्वेद में किए गए अनुसंधानों की समीक्षा की। साथ ही उन्होंने इन क्षेत्रों में भविष्य में होने वाले अनुसंधान कार्यों पर भी विस्तृत चर्चा की।
पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के डॉ. कनक सोनी ने बताया कि योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा से एंडोमैट्रियोसिस जैसी गंभीर बीमारियों की भी चिकित्सा की जा सकती है। उन्होंने इस बाबत अनुसंधान पत्र भी प्रस्तुत किया।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार की सहायक प्राध्यापक डॉ. रुचि सिंह ने अपने व्याख्यान में यज्ञ के वैज्ञानिक पहलुओं का वर्णन किया, उन्होंने अपने शोध कार्य में धूम के घटकों की पहचान की और इसके रोगाणुरोधी ( एंटी माक्रोबियल) प्रभाव का वर्णन किया।
पतंजली आयुर्वेद कॉलेज, हरिद्वार के सहयोगी प्राध्यापक डॉ. आशीष गोस्वामी ने अपने व्याख्यान में एककुष्ठ में पंचकर्म एवं आयुर्वेद शमन चिकित्सा के वैज्ञानिक पहलुओं का वर्णन किया, साथ ही उन्होंने अपने शोध कार्य में आयुर्वेद की शोधन चिकित्सा का महत्व बताया।
इस अवसर पर एम्स के एमबीबीएस व नर्सिंग स्टूडेंट्स के लिए आशुभाषण प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। जिसमें विद्यार्थियों ने एक मिनट की समयावधि में अपने भाषण को प्रस्तुत किया। अव्वल प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत भी किया गया। इस अवसर पर संस्थान की एसोसिएट डीन डॉ. वंदना धींगरा ने बताया कि स्टूडेंट्स वेलफेयर के लिहाज से बेहतर इस कार्यक्रम में एम्स की ओर से प्रतिभाग किया गया। जिससे बच्चों को पढ़ाई से उत्पन्न होने वाले स्ट्रेस से मुक्त रखा जा सके। उन्होंने बताया कि दो दिवसीय कार्यक्रम के यज्ञ, योग प्रदर्शन सहित लगभग सभी महत्वपूर्ण सत्रों में एम्स संस्थान के 250 से अधिक विद्यार्थियों ने बढ़चढ़कर प्रतिभाग किया है।
समापन समारोह में आयुष विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सेना ने बताया कि संस्थान में आयुष व मॉडर्न मेडिसिन के समन्वय का कार्य बढ़ाया जाएगा। ओरोवैली आश्रम के प्रमुख स्वामी ब्रह्मदेव ने सभी को स्वयं को ही योग बनाने के लिए प्रेरित किया। कहा कि हमारे जीवन का लक्ष्य बिना स्वार्थ के परमार्थ होना चाहिए, तभी हम जीवन को सार्थक बना सकते हैं।
इस अवसर पर वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी आयुष डॉ. श्रीलोय मोहंती, सम्मेलन की समन्वयक डॉ. वंदना धींगरा, चिकित्सा अधिकारी आयुष डॉ. श्वेता मिश्रा, डॉ. राहुल काटकर आदि मौजूद थे।