देहरादून में रानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर भाजपा का विशेष आयोजन-Newsnetra


देहरादून: उत्तराखंड भाजपा मुख्यालय में पुण्यशलोक रानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने उनके जीवन पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि रानी अहिल्याबाई का जीवन देश के लिए सदैव प्रेरणादाई रहा है. उनको एक वीरांगना और शासक के साथ धार्मिक एवं सामाजिक सुधार में अभूतपूर्व योगदान के लिए याद किया जाता है. उन्होंने न केवल 30 वर्षों तक एक बड़े भूभाग पर शानदार शासन किया. बल्कि पूरे भारतवर्ष में घूम-घूम धार्मिक एवं समाज सुधार के अनगिनत कार्यों को अंजाम दिया.
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में गौचर को गौचर का नाम देने में रानी अहिल्याबाई की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इसी तरह बदरीनाथ, केदारनाथ, काशी विश्वनाथ आदि तमाम धार्मिक स्थलों के पुनरुद्धार एवं मंदिरों के निर्माण में उनका योगदान है. भारतीय जनता पार्टी उनकी 300वीं जयंती को विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से देश भर में जनसहयोग से मना रही है. ऐसे ही कार्यक्रमों को भाजपा महिला मोर्चा जिले एवं विधानसभा स्तर पर आयोजित करेंगी.
कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि अहिल्याबाई एक यशस्वी महारानी, लोक सेविका और लोक नेता के रूप में याद की जाती हैं. उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए रेखा आर्य ने कहा कि, 31 मई 1795 को उनका जन्म तब हुआ था, जब महिलाओं के लिए शिक्षा प्राप्त करना भी आसान नहीं था. लेकिन तत्कालीन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने राज्य के शासन को संभाला. साथ ही धार्मिक एवं सामाजिक सुधारों के कार्यों को भी आगे बढ़ाया. उनके शौर्य और कृत्यों को आज हम कार्यशाला के माध्यम से मना रहे हैं. निश्चित रूप से कार्यशाला में अहिल्याबाई होल्कर के पूरे जीवनकाल और कालखंड से हम लोग प्रेरणा लेंगे कि कैसे उन्होंने अपने जीवन में अच्छे प्रशासक और एक अच्छे धार्मिक आस्थक के रूप में स्वयं को स्थापित किया.
कौन थी अहिल्याबाई होल्कर: रानी अहिल्याबाई होल्कर मालवा साम्राज्य की रानी थी. उनका जन्म 31 मई 1725 को हुआ. बताया जाता है कि 1767 में उनके ससुर और पति के मृत्यु हो जाने के बाद पूरा साम्राज्य की जिम्मेदारी उनके ऊपर दी गई थी. जिसके बाद उन्होंने तकरीबन 20 सालों तक साम्राज्य किया और इन 20 सालों में औरंगजेब द्वारा देश में हिंदू धर्म के मंदिरों को किए गए नुकसान से मंदिरों का जीर्णोद्धार किया.
अहिल्याबाई का उत्तराखंड से नाता: इतिहासकार बताते हैं कि विरासत में मिले 16 करोड़ की पुश्तैनी खजाने से उन्होंने उत्तर में उत्तरकाशी (उत्तराखंड) से लेकर दक्षिण में रामेश्वरम (तमिलनाडू) तक और पश्चिम के सोमनाथ (गुजरात) से लेकर पूर्व के गया (बिहार) तक के तकरीबन 104 मंदिरों का जीणोद्धार किया. इस दौरान उन्होंने ज्यादातर शिवालयों का जीणोद्धार किया. उत्तराखंड के परिपेक्ष में बताया जाता है कि उन्होंने हरिद्वार, ऋषिकेश, श्रीनगर, गौचर, केदारनाथ और उत्तरकाशी में कई मंदिरों का जीणोद्धार किया. विशेष तौर से बताया जाता है कि केदारनाथ धाम का उन्होंने स्वरूप बेहद भव्य और दिव्य बनाया था. वहीं इसके अलावा उत्तराखंड के गैचर नामक स्थान का नामकरण भी उन्होंने गायों के लिए चरवाहा के तौर पर गौचर रखा था.
अहिल्याबाई होल्कर का योगदान महिला शक्ति को सशक्त बनाने के लिए इतिहास में दर्ज है. बताया जाता है कि उनके द्वारा महिलाओं को समझ में सशक्त बनाने के लिए कई अभिनव प्रयास किए गए थे. उनके द्वारा 800 महिलाओं की एक महिला सेना भी बनाई गई थी तो वहीं मशहूर महेश्वरी साड़ी के लिए उनके द्वारा व्यवस्था की गई थी कि इस सदी में होने वाला हर प्रकार का शिल्पकार महिलाएं ही करेंगी. आज तक वह प्रथा बरकरार है.