देहरादून : उपनल आंदोलन से जुड़ी बड़ी खबर, आंदोलनरत महिला कर्मी की मौत से गहरा सदमा, साथियों में आक्रोश-Newsnetra
देहरादून में उपनल कर्मियों के चल रहे धरना-आंदोलन के बीच एक दर्दनाक खबर सामने आई है। परेड मैदान में पिछले एक हफ्ते से चल रहे आंदोलन में नियमित रूप से शामिल हो रही महिला उपनल कर्मी की ब्रेन हेमरेज से मौत हो गई। दिवंगत कर्मी नीलम डोभाल, जिला निर्वाचन कार्यालय देहरादून में उपनल के माध्यम से कनिष्ठ सहायक के पद पर कार्यरत थीं।
नीलम और उनके पति—दोनों उपनल कर्मचारी—बीते कई दिनों से आंदोलन में भाग ले रहे थे। परिवार पर पहले से आर्थिक और मानसिक दबाव था, और लगातार संघर्ष की स्थिति ने इसे और गंभीर बना दिया। साथियों के अनुसार, नीलम कई दिनों से अत्यधिक तनाव में थीं।
उपनल महासंघ का गंभीर आरोप
उपनल महासंघ ने नीलम डोभाल की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि
सरकार द्वारा आंदोलन की अनदेखी ने महिला कर्मी को गहरे डिप्रेशन में धकेला, जिसके चलते उनकी मौत हुई।
महासंघ के नेताओं ने कहा कि—
“सरकार ने लगातार एक हफ्ते से चल रहे शांतिपूर्ण धरने पर कोई ध्यान नहीं दिया। बातचीत तक की पहल नहीं की गई। इसी उपेक्षा ने नीलम जैसी मेहनती महिला कर्मी को मानसिक रूप से टूटने पर मजबूर कर दिया।”
आंदोलन स्थल पर दी गई श्रद्धांजलि
मौत की खबर मिलते ही परेड मैदान के आंदोलन स्थल पर शोक की लहर दौड़ गई। सभी उपनल कर्मियों ने दो मिनट का मौन रखकर नीलम डोभाल को श्रद्धांजलि दी। साथी कर्मियों ने कहा कि यह केवल एक मौत नहीं, बल्कि उपनल व्यवस्था की त्रासदी का प्रतीक है।
क्या है उपनल कर्मियों की मांग?
समान कार्य के लिए समान वेतन
सेवा नियमावली का गठन
नियमितिकरण की प्रक्रिया
संविदा आधारित शोषण का अंत
असमान वेतन ढांचे में सुधार
उपनल कर्मियों का कहना है कि वर्षों से वे न्यूनतम वेतन, अस्थिर नौकरी और अनिश्चित भविष्य के साथ काम कर रहे हैं। कई मामलों में एक ही विभाग के स्थायी कर्मचारियों के समान कार्य करने के बावजूद उनका वेतन बेहद कम है।
सरकार पर सवाल, आंदोलन और तेज होने के संकेत
नीलम की मौत से आक्रोशित कर्मियों ने घोषणा की है कि यदि सरकार तत्काल वार्ता शुरू नहीं करती, तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा। उपनल महासंघ ने कहा कि यह घटना सरकार की संवेदनहीनता का परिणाम है।
कर्मियों ने जिला प्रशासन से नीलम की मृत्यु की उच्चस्तरीय जांच और परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान करने की मांग की है।
एक संवेदनशील मुद्दा—सरकार के लिए चेतावनी?
यह घटना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि उपनल व्यवस्था से जुड़े सवाल केवल प्रशासनिक मुद्दे नहीं, बल्कि हज़ारों परिवारों के मानसिक और सामाजिक जीवन से जुड़े गहरे मानवाधिकार संबंधी प्रश्न हैं।
अब नज़रें सरकार की प्रतिक्रिया और अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।





