Farmer Protest Again : फिर सडको में उतरे किसान, फिर दिल्ली कूच करने की तैयारी जानिए अब क्या है मांग- Newsnetra
Former Protest Again : किसानों ने एक बार फिर दिल्ली कूच करने की तैयारी कर ली है। पंजाब, हरियाणा और यूपी के अलावा कई और राज्यों के किसान 13 फरवरी को दिल्ली कूच की तैयारी में हैं। करीब दो साल पहले तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने दिल्ली की घेराबंदी की थी। इसे ‘दिल्ली चलो मार्च’ का नाम दिया गया है। माना जा रहा है कि इसके जरिए दिल्ली की एक बार फिर घेराबंदी की जाएगी। ऐसे में हरियाणा के साथ-साथ दिल्ली पुलिस ने भी किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए बड़े पैमाने पर सुरक्षा व्यवस्था की है। इसके लिए पंजाब और हरियाणा एवं हरियाणा और दिल्ली के बीच की सीमाओं को सील कर दिया है। पिछली बार के विपरीत इस बार किसान केंद्र सरकार से कई उपायों की मांग कर रहे हैं, जो खेती की वित्तीय व्यवहार्यता के लिए आवश्यक हैं।
इस बार क्या है किसानों की मुख्य मांगें :
1. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी : किसानों की मुख्य मांग में एक कानून बनाना शामिल है, जो सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी प्रदान करेगा। इसके लिए डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार फसलों की कीमतों का निर्धारण किया जाएगा।
और ये है अन्य मांगें :
– किसानों और मजदूरों की पूर्ण कर्ज माफी।
– भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 का कार्यान्वयन।
– लखीमपुर खीरी हत्याकांड के अपराधियों को सजा।
– विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से भारत की निकासी।
– किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन योजना।
– दिल्ली विरोध प्रदर्शन के दौरान मरने वाले किसानों के परिवार के लिए मुआवजा।
– बिजली संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए।
– मनरेगा के तहत रोजगार की वृद्धि और योजना को खेती से जोड़ा जाना चाहिए।
– नकली बीज, कीटनाशक, उर्वरक बनाने वाली कंपनियों पर सख्त दंड और जुर्माना।
– मिर्च और हल्दी जैसे मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन।
दिल्ली में आंदोलन रोकने को लेकर दिल्ली पुलिस की क्या है तैयारी ?
दिल्ली पुलिस ने आंदोलन के कारणों के चलते व्यापक पैमाने पर तनाव और ‘सामाजिक अशांति’ की आशंका के मद्देनजर धारा 144 लागू की है। यहां तक कि यातायात को भी प्रतिबंधित किया गया है। आंदोलन को रोकने के लिए सीमाओं पर कंक्रीट और लोहे के अवरोधक तैनात किए गए हैं।
इस बार का किसान आंदोलन पिछली बार के आंदोलन से काफी अलग है. साल 2020-21 के आंदोलन की तुलना में इस बार किसानों की मांगें और नेतृत्व दोनों अलग हैं. पिछली बार का किसान आंदोलन कृषि कानूनों के खिलाफ था, जिसके दौरान किसान केंद्र सरकार को अपने कृषि सुधार एजेंडे को वापस लेने के लिए मजबूर करने के अपने मुख्य लक्ष्य में सफल रहे थे.