टिंचरी माई – एन अनटोल्ड स्टोरी” : उत्तराखंड की लोकनायिका पर बनी फिल्म ने जीता दर्शकों का दिल-Newsnetra
देहरादून/दिल्ली, 5 सितम्बर।
उत्तराखंड की लोकनायिका टिंचरी माई के जीवन और संघर्षों पर आधारित हिंदी फीचर फिल्म “टिंचरी माई – एन अनटोल्ड स्टोरी” हाल ही में राजधानी दिल्ली के स्पेसिफिक मॉल और मॉल ऑफ देहरादून में प्रदर्शित की गई। पहले ही दिन फिल्म को दर्शकों से शानदार प्रतिक्रिया मिली। समीक्षकों और दर्शकों ने इसे एक ऐसी कृति बताया जो केवल मनोरंजन ही नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और बदलाव की प्रेरणा भी देती है।
टिंचरी माई कौन थीं?
फिल्म की कहानी बग्वाली देवी के जीवन पर आधारित है, जिन्हें उत्तराखंड में टिंचरी माई के नाम से जाना जाता है। उनका जन्म टिहरी गढ़वाल के फलासीसैंण ब्लॉक के इष्टजूर गाँव में हुआ था।


कम उम्र में विवाह और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बावजूद उन्होंने अपने जीवन को समाज सेवा और संघर्ष की राह पर समर्पित किया। व्यक्तिगत दुखों — जैसे अपने बच्चों की असमय मृत्यु — ने उन्हें और भी मजबूत बनाया। उन्होंने शराबखोरी, शोषण और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ मोर्चा खोला और शिक्षा तथा महिला अधिकारों की मशाल जलाई।
समाज सुधार की मिसाल
टिंचरी माई उस दौर में आंदोलन खड़ा करने के लिए जानी जाती हैं जब महिलाओं की आवाज़ दबा दी जाती थी।
- उन्होंने मोटाडक टिहरी में स्कूल स्थापित कर शिक्षा का प्रसार किया।
- सिलड़ी गाँव में पानी की लड़ाई लड़ी।
- स्थानीय शराब माफियाओं और शोषकों के खिलाफ आंदोलन चलाया।
यही कारण है कि उन्हें लोकनायिका और समाज सुधारक के रूप में आज भी याद किया जाता है।
फिल्म की विशेषताएँ
निर्माताओं के अनुसार, यह फिल्म सिर्फ एक ऐतिहासिक गाथा नहीं बल्कि वर्तमान समाज के लिए भी गहरा संदेश देती है।
- इसमें गढ़वाल की लोककथाओं, लोकगीतों और ग्रामीण जीवन का सजीव चित्रण है।
- कथा में सामाजिक बदलाव, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के महत्व को विशेष रूप से दिखाया गया है।
- फिल्म का अंतिम भाग दर्शकों को भावुक कर देता है और यह सोचने पर मजबूर करता है कि एक साधारण महिला ने किस तरह समाज में असाधारण परिवर्तन लाया।
फिल्म की टीम
- निर्देशक : डी.एम. मुनियाल
- कहानी : लोकेंद्र नौगाईं
- निर्माता : नवीन नाट्यकला, फौजिया अरोड़ा, महेश गुप्ता
- प्रस्तुति : एन.एन. प्रोडक्शन
- शोध निर्देशन : डॉ. इंद्रमोहन उन्हीं
फिल्म में एस्मा मेख्राज ने टिंचरी माई का किरदार निभाया, जिन्हें दर्शकों ने खूब सराहा।
दर्शकों की प्रतिक्रिया
फिल्म देखने आए दर्शकों ने कहा कि यह केवल एक बायोग्राफिकल फिल्म नहीं बल्कि उत्तराखंड की आत्मा से जुड़ी हुई कहानी है।
- कुछ ने इसे “उत्तराखंड की नारी शक्ति की सच्ची तस्वीर” कहा।
- तो कुछ ने माना कि यह फिल्म युवाओं को सामाजिक संघर्षों और महिला सशक्तिकरण से जोड़ने का काम करती है।
संदेश और महत्व
“टिंचरी माई – एन अनटोल्ड स्टोरी” अतीत की एक गाथा है, लेकिन इसका संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है। यह फिल्म बताती है कि साधारण लोग भी असाधारण बदलाव ला सकते हैं।
फिल्म शिक्षा, महिला अधिकार, सामाजिक जागरूकता और संघर्षशील जीवन का संदेश देती है। यही कारण है कि रिलीज़ के पहले ही दिन यह दर्शकों के दिलों को छू गई।