आयुर्वेद में ऐतिहासिक कदम: देश का “प्रकृति परीक्षण अभियान” गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में होगा पंजीकृत-Newsnetra
27 सितंबर 2024 को आयुष मंत्रालय, भारत सरकार और भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग, नई दिल्ली द्वारा आयोजित बैठक में देश के “प्रकृति परीक्षण अभियान” की दूसरी बैठक सफलतापूर्वक संपन्न हुई। इस महत्वपूर्ण बैठक में डॉ. जे.एन. नौटियाल, अध्यक्ष, भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखंड ने राज्य समन्वयक के रूप में भाग लिया। यह अभियान आयुर्वेद की दिशा में एक बड़ा कदम है और इसके गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज होने की भी घोषणा की गई है।
बैठक का उद्देश्य और प्रमुख चर्चा
प्रकृति परीक्षण अभियान की इस दूसरी बैठक में देशभर के आयुर्वेद विशेषज्ञ, विश्वविद्यालयों के कुलपति, राज्य समन्वयक, और आयुर्वेदिक कॉलेजों के प्रधानाचार्य शामिल थे। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य इस महत्वपूर्ण अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए आवश्यक दिशा-निर्देशों पर चर्चा करना था। इससे पहले, आयुष मंत्री श्री प्रताप राव जाधव ने पहली बैठक में आयुर्वेद के विशेषज्ञों से मुलाकात की थी, जिसमें अभियान की रूपरेखा तय की गई थी।
दूसरी बैठक में राज्य समन्वयकों और कॉलेजों के प्रधानाचार्यों को अभियान के बारे में प्रशिक्षण दिया गया और उन्हें इसे प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए तैयार किया गया। यह अभियान न केवल आयुर्वेद के क्षेत्र में शोध को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि यह भविष्य में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को मजबूत करने में मददगार साबित होगा।
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में पंजीकरण
इस अभियान की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में पंजीकृत किया जाएगा। यह भारत के आयुर्वेद क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। आयुष मंत्री ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए देशभर के सभी आयुष चिकित्सकों से अपील की है कि वे इसमें सक्रिय भागीदारी करें। इस अभियान के माध्यम से एक बड़ा डेटाबेस तैयार किया जाएगा, जो आयुर्वेद में शोध कार्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा।
उत्तराखंड में क्रियान्वयन
उत्तराखंड में भी इस अभियान का क्रियान्वयन आयुष मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जाएगा। राज्य समन्वयकों को जल्द ही विभिन्न जिलों में इस अभियान को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान किए जाएंगे। राज्य के आयुर्वेदिक संस्थानों और चिकित्सकों को भी इस अभियान के तहत सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
निष्कर्ष
प्रकृति परीक्षण अभियान न केवल आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने का एक सशक्त प्रयास है, बल्कि यह भारतीय चिकित्सा पद्धति की प्राचीन धरोहर को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में इसके पंजीकरण के साथ, यह अभियान आयुर्वेद के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा।