‘मेरे कंधे पर मेरा तिरंगा है’: अंतरिक्ष से भारत को पहला संदेश देने वाले शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास-Newsnetra


नई दिल्ली/केप कैनावेरल:
भारत के लिए आज का दिन ऐतिहासिक बन गया जब भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम-4 (Axiom-4) मिशन के तहत सफलतापूर्वक अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरी। फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्चपैड कॉम्प्लेक्स 39A से यह मिशन भारतीय समयानुसार दोपहर 12:01 बजे लॉन्च हुआ। इस स्पेसक्राफ्ट में शुभांशु के साथ तीन और अंतरिक्ष यात्री भी सवार हैं।
मिशन के लॉन्च होते ही जैसे ही स्पेसक्राफ्ट ने पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश किया, शुभांशु शुक्ला ने भारत के लिए अपना पहला संदेश भेजा, जिसने हर भारतीय के दिल को गर्व से भर दिया। उन्होंने कहा:
“मेरे कंधे पर मेरा तिरंगा है।”
यह एक भावनात्मक और गौरवपूर्ण क्षण था, जिसने भारत को न केवल वैश्विक अंतरिक्ष विज्ञान में अपनी मजबूत उपस्थिति का अहसास कराया, बल्कि यह भी बताया कि भारत का युवा अब अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छू रहा है।
✦ शुभांशु शुक्ला: भारत का अंतरिक्ष में नया प्रतिनिधि
शुभांशु शुक्ला, जिनका यह पहला अंतरिक्ष अभियान है, एक्सिओम स्पेस के प्राइवेट मिशन के अंतर्गत इस उड़ान का हिस्सा हैं। Axiom-4 मिशन का उद्देश्य है— वैज्ञानिक अनुसंधान, स्पेस टेक्नोलॉजी का परीक्षण और पृथ्वी से बाहर दीर्घकालिक मानव उपस्थिति की संभावनाओं का अध्ययन करना।
भारत की ओर से शुभांशु का चयन इस मिशन के लिए ना सिर्फ उनकी वैज्ञानिक दक्षता को दर्शाता है, बल्कि यह भी कि भारत अब अंतरिक्ष अभियानों के वैश्विक मंच पर अपनी अहम भूमिका निभा रहा है।
✦ अंतरिक्ष से पहला संदेश: ‘तिरंगे’ की शान
“मेरे कंधे पर मेरा तिरंगा है”— यह केवल एक वाक्य नहीं था, बल्कि 1.4 अरब भारतीयों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करने वाला गर्व से भरा बयान था। शुभांशु का यह संदेश साबित करता है कि अंतरिक्ष में जाते हुए भी वह अपनी भारतीयता को हृदय में संजोए हुए हैं। यह वाक्य जल्द ही सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा और देशभर में लोगों ने उन्हें शुभकामनाएं दीं।
✦ एक्सिओम-4 मिशन क्या है?
Axiom-4 मिशन अमेरिका स्थित प्राइवेट कंपनी Axiom Space द्वारा चलाया गया अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष मिशन है, जिसका उद्देश्य है अंतरिक्ष में वाणिज्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देना और भविष्य में ‘स्पेस स्टेशन’ निर्माण की संभावनाओं को सशक्त बनाना। इस मिशन के तहत चार अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक जाएंगे और वहां 14 दिन तक रहकर विभिन्न अनुसंधान कार्यों में भाग लेंगे।
✦ भारत के लिए नई शुरुआत
यह मिशन भारत के लिए अंतरिक्ष कूटनीति और वैज्ञानिक उन्नति की दिशा में एक नया अध्याय है। जिस तरह से ISRO और अब भारतीय निजी प्रतिभाएं अंतरिक्ष में सक्रिय हो रही हैं, यह देश के विज्ञान, तकनीक और वैश्विक सहयोग में नेतृत्व की ओर बढ़ने का संकेत है।
शुभांशु शुक्ला का यह मिशन न केवल एक अंतरिक्ष यात्रा है, बल्कि यह भारत के आत्मविश्वास, प्रतिभा और वैश्विक पहचान का प्रतीक है। उनके शब्दों में बसी देशभक्ति आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी।
जब तिरंगा कंधे पर हो, तो अंतरिक्ष भी सिर झुकाता है।