इगास दिवाली: परंपरा, लोकनृत्य और लोकगीतों का अनूठा संगम-Newsnetra
इगास पर्व: उत्तराखंड की अनूठी लोक परंपरा
इगास पर्व उत्तराखंड का एक विशेष लोक उत्सव है, जिसे दीपावली के 11वें दिन, यानी एकादशी को मनाया जाता है। इसे इगास बग्वाल, इगास दिवाली और बूढ़ी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व राज्यभर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और उत्तराखंड सरकार द्वारा इस दिन को राजकीय अवकाश के रूप में घोषित किया गया है, जिससे अधिक से अधिक लोग अपने पारंपरिक त्योहार को खुशी और श्रद्धा के साथ मना सकें।
इगास पर्व का महत्व और इतिहास
इगास पर्व का संबंध लोक परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर से है। इस दिन का विशेष महत्व उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में है, जहाँ लोग अपने रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक धरोहरों को जीवित रखते हुए इस पर्व का उत्सव मनाते हैं। इगास पर्व के माध्यम से लोग अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहते हैं और पारंपरिक मान्यताओं को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाते हैं।
भैलो खेल: इगास का मुख्य आकर्षण
इगास पर्व का प्रमुख आकर्षण ‘भैलो खेलना’ है। भैलो एक विशेष प्रकार का खेल है, जिसमें तिल, भंगजीरे, हिसर और चीड़ की सूखी लकड़ी के छोटे-छोटे गठ्ठर बनाकर रस्सी से बांधकर एक प्रकार का मशाल या भैलो तैयार किया जाता है। इस मशाल को खेल के दौरान जलाया जाता है, और लोग इसके माध्यम से अपने अद्वितीय करतब दिखाते हैं। भैलो खेलने के दौरान लोग एकत्रित होकर पारंपरिक गीतों के साथ अपनी संस्कृति का जश्न मनाते हैं।
लोकनृत्य और लोकगीत
भैलो खेल के साथ ही पारंपरिक लोकनृत्य और लोकगीत इस पर्व की रौनक को और बढ़ा देते हैं। चांछड़ी और झुमेला जैसे नृत्य और “भैलो रे भैलो”, “काखड़ी को रैलू”, “उज्यालू आलो अंधेरो भगलू” जैसे लोकगीत इस पर्व के अभिन्न अंग हैं। ये लोकनृत्य और गीत न केवल मनोरंजन का माध्यम हैं बल्कि इनमें उत्तराखंड की लोक परंपराओं और सांस्कृतिक पहचान की झलक भी मिलती है।
इगास का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
इगास पर्व का उद्देश्य केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं है; यह लोगों को एक साथ जोड़ने और उनके बीच एकता, सद्भावना और सहयोग की भावना को बढ़ावा देने का काम भी करता है। लोग इस दिन एक साथ मिलकर पूजा-अर्चना करते हैं, नाचते-गाते हैं, और एक दूसरे के साथ पर्व की खुशियाँ बाँटते हैं। इगास पर्व ने समाज को एकजुट रखने और सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उत्तराखंड का इगास पर्व राज्य की अनूठी संस्कृति और समृद्ध परंपराओं का प्रतीक है। यह पर्व न केवल प्रदेशवासियों के लिए खास है, बल्कि इसमें उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत की झलक भी दिखाई देती है। इगास पर्व की परंपरा और इसका जोश इस पर्व को विशेष बनाते हैं, और इसे मनाने का तरीका यह दर्शाता है कि कैसे एक पर्व समाज को एक साथ जोड़ने में मदद करता है।