मकर संक्रांति पर हरिद्वार के गंगा घाटों पर उमड़ा आस्था का जनसैलाब, पुलिस प्रशासन ने की सुगम व्यवस्था-Newsnetra
मकर संक्रांति के पावन पर्व पर सोमवार को हरिद्वार के हर की पैड़ी सहित सभी गंगा घाटों पर भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं ने आस्था और विश्वास के साथ पवित्र गंगा में स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित किया। प्राचीन परंपराओं के अनुसार, मकर संक्रांति का स्नान विशेष महत्व रखता है। इस दिन लाखों लोग गंगा स्नान कर अपने जीवन को पवित्र करने की मान्यता रखते हैं।
हरिद्वार के घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के मद्देनजर उत्तराखंड पुलिस ने स्नान पर्व के लिए विशेष इंतजाम किए। पुलिस का पूरा प्रयास रहा कि लोग सुव्यवस्थित ढंग से स्नान करें और बिना किसी बाधा के अपने गंतव्य तक पहुंच सकें। घाटों पर तैनात पुलिसकर्मियों ने लगातार निगरानी रखी और भीड़ को नियंत्रित किया। इसके अलावा, घाटों पर स्वास्थ्य सेवाओं और आपातकालीन सहायता के भी विशेष प्रबंध किए गए थे।
सुरक्षा व्यवस्था के विशेष इंतजाम
हरिद्वार पुलिस ने घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। जगह-जगह सीसीटीवी कैमरों के जरिए निगरानी रखी जा रही थी। ट्रैफिक पुलिस ने मुख्य मार्गों पर यातायात सुचारू बनाए रखने के लिए लगातार गश्त की। घाटों के आसपास भीड़ नियंत्रण के लिए अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई थी।
पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान
श्रद्धालुओं से गंगा नदी को स्वच्छ बनाए रखने की अपील की गई थी। नगर निगम और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने घाटों की साफ-सफाई सुनिश्चित करने के लिए विशेष अभियान चलाया। प्रशासन ने घाटों पर प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाते हुए स्वच्छता को प्राथमिकता दी।
श्रद्धालुओं का उत्साह
स्नान के लिए आए श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह देखा गया। हर की पैड़ी पर अलसुबह से ही बड़ी संख्या में भक्तों का तांता लग गया। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने गंगा आरती में भाग लिया और भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया।
मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व
मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। हरिद्वार में इस दिन लाखों श्रद्धालु स्नान करने पहुंचते हैं, जिससे यह आयोजन भव्य और ऐतिहासिक बन जाता है।
निष्कर्ष
मकर संक्रांति स्नान पर्व के सफल आयोजन में पुलिस प्रशासन, नगर निगम और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। श्रद्धालुओं ने भी प्रशासन के प्रयासों की सराहना की और शांति व सुव्यवस्था के साथ इस पावन पर्व को मनाया।