ऐतिहासिक 50वां स्वर्ण जयंती खलंगा मेला 2024 का आयोजन-Newsnetra


देहरादून। बलभद्र खलंगा विकास समिति नालापानी के अध्यक्ष सेनि कर्नल विक्रम सिंह थापा कहा है कि इस वर्ष सागरताल नालापानी में ऐतिहासिक भव्य 50वां स्वर्ण जयंती खलंगा मेला 2024 का आयोजन आगामी एक दिसम्बर 2024 को किया जायेगा। जिसकी सभी तैयारियां अभी से प्रारंभ कर दी गई हैं। आज परेड ग्राउंड स्थित उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होने कहा कि समिति द्वारा विगत 49 वर्षों से सेना नायक कुंवर बलभद्र थाप तथा उनके वीरों और वीरांगनाओं, जिन्होंने 1814-16 में अति शक्तिशाली ब्रिटिश सेना के कई आक्रमणों को विफल कर दिया था। उन्होंने कहा कि उनकी वीरता तथा अदम्य पराक्रमको याद कर उन्हें प्रतिवर्ष अंद्धाजलि देने हेतु मेले का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर समिति की मुख्य सचिव प्रभा शाह ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि इस दो दिवसीय आयोजन का शुभारंभ 30 नवंबर 2024 सर्वप्रथम युद्ध स्मारक सहस्त्रधारा रोड़ में प्रातः 6.45 बजे श्रद्धांजलि अर्पित की जायेगी। तत्पश्चात आयोजन का शुभारंभ स्वास्थ्य जागरूकता, पर्यावरण संरक्षण संवर्धन एवं स्वच्छता के संदेश हेतु प्रातः सात बजे खलंगा बेवरी बाईकऐथन (खलंगा बहादुरी साईकिल रैली) से होगा यह रैली खलंगा युद्ध कीर्ति स्मारक सागरताल, नालापानी में समाप्त होगी। तत्पश्चात प्रातः 10.30 बजे से चन्द्रायनी माता मंदिर, नालापानी में पूजन, हवन, कीर्तन और भण्डारे का आयोजन होगा। इस अवसर पर समिति द्वारा पर्यावरण प्रेमी सहयोगी संस्थाओ को सम्मानित भी किया जायेगा। उन्होंने बताया कि सायं छह बजे खलंगा युद्ध स्मारक, सहस्त्रधारा रोड़ में समिति एवं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देहरादून मण्डल के संयुक्त तत्वाधान में सास्कृतिक संध्या का आयोजन भी किया जायेगा, जिसमें सखलंगा युद्ध पर आधारित लघु नाटिका का मंचन भी किया जायेगा। उन्होंने बताया कि आगामी एक दिसम्बर 2024 को प्रातः 11 बजे से सागरताल, नालापानी में 50 वां स्वर्ण जयंती खलंगा मेला 2024 का भव्य आयोजन प्रारंभ होगा। उन्होंने बताया कि इस मेले में 1814.16 में हुए खलंगा युद्ध के इतिहास का विस्तृत वर्णन, सांस्कृतिक कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए गोर्खाली, गढ़वाली एवं कुमाऊँनी लोकनृत्यों एवं गीतों की रंगारंग प्रस्तुतियां दी जायेगी। उन्हांेने बताया कि लजीज गोर्खाली व्यंजनों का स्टॉल गोर्खाली परिधानों, आभूषणों के स्टॉल एवं लॉटरी के लक्की ड्रा भी मुख्य आकर्षण का केन्द्र होंगें और गोर्खाओं की वीरता का प्रतीक सुप्रसिद्ध खुकरी डॉस और भारतीय गोर्खा समुदाय की गौरवमयी लोक संस्कृति को दर्शाने के लिए नौमती बाजा (प्राचीन गोर्खाली नी वाद्य यंत्र) कलाकारों द्वारा मनमोहक प्रस्तुतियाँ भी विशेष आकर्षक रहेंगंे।