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Uttarakhand Politics : देहरादून। लोकसभा चुनाव से पहले पूर्व विधायक शैलेंद्र सिंह रावत की भाजपा में एक बार फिर घर वापसी हो गई है। शैलेंद्र रावत यमकेश्वर विधानसभा से पिछले दो चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ चुके हैं, इसलिए उनके भाजपा में वापसी को राजनीतिक तौर पर कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
भाजपा कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद भट्ट ने कोटद्वार के पूर्व विधायक शैलेंद्र सिंह रावत को फिर से पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस दौरान शैलेंद्र रावत के कई समर्थकों ने भी भाजपा ज्वाइन की। मौके पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी भी मौजूद थे। जिससे सियासी हलकों में उनकी घर वापसी को कोटद्वार के साथ यमकेश्वर विधानसभा की राजनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है। कुछ लोग वापसी को निकाय चुनाव से जोड़ कर भी देख रहे हैं।
बता दें कि दुगड्डा विकासखंड के प्रमुख से अपना सियासी सफर शुरू करने वाले शैलेंद्र रावत 2007 में कोटद्वार से भाजपा विधायक बने थे। उन्होंने तब कांग्रेस के कदावर नेता सुरेंद्र सिंह नेगी को पटकनी दी थी। लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में कोटद्वार सीट पर तत्कालीन सीएम जनरल बीसी खंडूरी की हार का जिम्मेदार मानकर पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। 2014 में उनकी वापसी हुई, मगर 2017 में टिकट नहीं मिला, तो शैलेंद्र ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया।
कांग्रेस ने 2017 और 2022 में उन्हें कोटद्वार की बजाए यमकेश्वर सीट से मैदान में उतारा। लेकिन यहां वह भाजपा को शिकस्त नहीं दे सके। बताते हैं कि इसके बाद से ही शैलेंद्र और उनके साथी भाजपा में जाने की जुगत लगाने में जुट गए थे। रविवार को उनकी घर वापसी के साथ ही यह प्रयास भी कामयाब हो गया।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि शैलेंद्र रावत की घर वापसी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा के लिए फायदेमंद, तो कांग्रेस के लिए नुकसान वाला हो सकता है। खासकर यमकेश्वर में कांग्रेस को अपने सियासी वजूद के लिए फिर से किसी बड़े चेहरे की दरकार रहेगी। वहीं भाजपा को भी कोटद्वार की राजनीतिक जमीन पर संतलुन बिठाने में मशक्कत करनी पड़ सकती है।