आचार्य करुणेश मिश्र : रक्षा बन्धन और श्रावणी उपाकर्म में क्या अन्तर है ? रात्रि में रक्षा बन्धन क्यों करना है ? आईए स्वयं अध्ययन करिये !! ये कोई साधारण ग्रन्थ नही हैं पारस्कर गृह्यसूत्र, निर्णय सिन्धु, स्मृति कौस्तुभ, मदन पारिजात, भविष्य पुराण जैसे वंदनीय महाग्रंथ हैं।
स्पष्ट लिखा है कि भद्रा में उपाकर्म करने से कोई हानि नहीं होती, लेकिन जिन रक्षासूत्रों का संधान हुआ है उन्हे भद्रा में बांधने से राष्ट्र की हानि होती है (यहां बाजार में मिलने वाली राखी की चर्चा नही है); और यह भी बिल्कुल स्पष्ट लिखा है कि भद्रा रात्रि में समाप्त हो रही हो तो रात्रि में ही रक्षा बंधन करना चाहिये, लेकिन अगले दिन पूर्णिमा त्रिमुहूर्त व्यापिनी न हो अर्थात लगभग ढाई घंटे से कम हो तो ऐसे प्रतिपदा युक्त पूर्णिमा में रक्षा बांधने से भी निश्चित हानि होती है।
जो लिखा है, वही स्थिति इस बार बन भी रही है; विगत वर्ष भी लगभग यही स्थिति थी और समाज दिग्भ्रमित हुआ था; यही सोचकर इस वर्ष प्रयास किया कि विभिन्न सनातन ग्रंथों के माध्यम से विद्वानों की सभा बुलाकर समस्या का समाधान किया जाये। ग्रन्थ आपके सामने हैं, स्वयं पढ़िये, समझिये। हो सके तो ऋषियों के इन प्रबंधों पर विश्वास करिये, अथवा मन बुद्धि आपकी है, आप स्वतन्त्र हैं, जब चाहे त्यौहार मनाइये।