तहसील सदर देहरादून तक पहुंचना बुजुर्गों के लिए हुआ टेढ़ी खीर : रविंद्र सिंह आनंद-Newsnetra
समस्या का जल्द समाधान न होने पर आंदोलन की दी चेतावनी।
देहरादून। देहरादून मंडी समिति के पूर्व अध्यक्ष श्री रविंद्र सिंह आनंद ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि गांधी रोड स्थित तहसील सदर देहरादून का दफ्तर पिछले कई वर्षों से राजीव गांधी कांप्लेक्स में स्थित है जहां पर लगी लिफ्ट पिछले 3 साल से खराब है और तहसील देहरादून का यह दफ्तर बिल्डिंग की तीसरे तल पर स्थित है ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बुजुर्गों एवं बीमार लोगों को जो यहां पर वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन ,जाति प्रमाण पत्र आदि प्रमाण पत्र बनवाने हेतु सत्यापन के लिए इस कार्यालय तक पहुंचने में कितनी परेशानी का सामना करना पड़ रहा होगा।
रविंद्र सिंह आनंद ने कहा कि पिछले तीन साल से यहां पर यह लिफ्ट खराब पड़ी हुई है और शासन प्रशासन को इसकी कोई सुध नहीं है । आनंद ने यहां पर आने वाले बुजुर्गों से बात की और पाया कि उनको कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है यहां पर आने के लिए। उन्होंने कहा यदि तहसील कार्यालय तक पहुंचाने मे किसी बुजुर्ग की तबीयत खराब हो जाए या हृदय गति रुकने से कोई हादसा हो जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा ? उन्होंने कहा इस प्रकार की घटना कभी भी घटित हो सकती है बावजूद इसके प्रशासन के कान पर जू तक नहीं रेंग रही है।
आनंद ने कहा कि ऐसे में सरकार को चाहिए कि इस तरह के सरकारी दफ्तर जहां पर बुजुर्गों की आवाजाही रहती है को तीसरे या चौथे तल पर बनाने की बजाय ग्राउंड फ्लोर पर बनाना चाहिए जिससे कि उनको परेशानी का सामना न करना पड़े श्री आनंद ने कहा कि आज भी जब वे यहां आए और उन्होंने यहां पर बुजुर्गों से बात की तो उनको उनकी परेशानी का पता चला यह परेशानी लोग कई बार यहां के अधिकारियों आदि को भी बता चुके हैं लेकिन यहां पर कोई कार्यवाही न होने से उनको खाली हाथ ही लौटना पड़ता है। कई लोग इस वजह से यहां तक नहीं पहुंच पाए कि उनको तीसरी मंजिल तक चढ़कर जाना होगा ऐसे में उनके काम अटके रहते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि इस संबंध में उन्होंने राजस्व उप निरीक्षक एवं कानून आदि से इस विषय पर बात की तो उन्होंने इस पर अपनी असमर्थता व्यक्त की एवं कहां की यह तो आला अधिकारी ही बता सकते हैं की लिफ्ट कब ठीक होगी या राजस्व कार्यालय ग्राउंड फ्लोर पर कब शिफ्ट होगा भी या नहीं ।
आनंद ने अंत में कहा कि यदि जल्दी ही इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्हें मजबूरन आंदोलन का सहारा लेना पड़ेगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी ।