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सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा सुप्रीम कोर्ट के सामने वी. के. मेनन भवन में आयोजित अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम पर विमर्श हेतु राष्ट्रीय सम्मेलन में हरिद्वार जिला सिविल एंड टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रशांत राजपूत एवं महासचिव गौरव गोविंद त्रिपाठी ने प्रतिभाग लिया। इस मौके पर बार के महासचिव अधिवक्ता गौरव गोविंद त्रिपाठी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा व्यवसाय जोखिम भरा है ।
शासन प्रशासन के दबाव के बीच हमें न्यायिक व्यवस्था का अनुपालन करना पड़ता है। परन्तु आपराधिक लोगों से अधिवक्ताओं को हर वक्त खतरा बना रहता है। जजों और नौकरशाहों को जिस तरह से न्यायिक सेवा के दौरान किसी भी तरह के आपराधिक वाद से छूट है। ठीक वैसा ही सुरक्षा कवच अधिवक्तागण को भी मिलना चाहिए। क्योंकि अधिवक्ताओं को भी भय और हिंसा की आशंका के बीच सेवा कार्य करना पड़ता है। विभिन्न राज्यों की बार एसोसिएशन से आए पदाधिकारी अधिवक्ताओं ने अपनी राय उक्त सम्मेलन में रखी। सम्मेलन के आयोजक सुप्रीम कोर्ट के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.आदिश अग्रवाल, सचिव रोहित पांडे ने देश की सभी बार एसोसिएशन को एकजुट होकर संवैधानिक तरीको से प्रस्तावित अधिनियम सभी राज्यों में पास कराने का प्रस्ताव पास किया। वकीलों के खिलाफ हिंसा को गैर जमानती बनाने की मांग की गई।
अधिवक्ताओं की मांग है कि जिस प्रकार डॉक्टरों के लिए उत्तर प्रदेश में यूपी मेडिकेयर सर्विस पर्सेंस एंड मेडिकेयर सर्विस इंस्टीट्यूशंस (हिंसा और संपत्ति की क्षति रोकथाम अधिनियम 2013) को लागू किया गया है, उसी तरह अधिवक्ताओं के संरक्षण को लेकर कानून लाया जाए. इस कानून में डॉक्टर से मारपीट करने या अस्पताल में तोड़फोड़ करने पर तीन साल कैद और 50 हजार रुपये तक का जुर्माने का प्रावधान है।