देहरादून में पानी का संकट: जल जीवन मिशन में घोटाले के आरोप, स्वाभिमान मोर्चा ने किया जल निगम कार्यालय का घेराव-Newsnetra


राजधानी देहरादून इन दिनों जल संकट के गहरे साए में है। शहर के कई प्रमुख और व्यस्त इलाके—जैसे डीएल रोड, करनपुर, नालापानी चौक और आसपास के क्षेत्र—भीषण गर्मी के बीच पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। दो-दो दिन तक घरों में नलों से पानी नहीं आ रहा, जिससे आमजन बुरी तरह परेशान हैं। इस संकट के विरोध में उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने जल जीवन मिशन के तहत चल रही पेयजल योजनाओं में बड़े घोटाले के आरोप लगाते हुए देहरादून स्थित जल निगम मुख्यालय का घेराव किया।
मोर्चा के महासचिव मोहित डिमरी के नेतृत्व में जोरदार प्रदर्शन
उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के महासचिव मोहित डिमरी के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने खाली बर्तन लेकर जल निगम कार्यालय का घेराव किया और जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने एसडीएम स्मिता परमार के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा। ज्ञापन में दोषी अधिकारियों को तत्काल बर्खास्त करने और भ्रष्टाचार में लिप्त कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करने की मांग की गई।
पानी की पाइप लाइनें और नल सूखे पड़े हैं: मोर्चा का आरोप
मोहित डिमरी ने कहा कि करोड़ों रुपए की लागत से उत्तराखंड में जो पाइपलाइन बिछाई गई हैं और जो नल जल जीवन मिशन के तहत लगाए गए हैं, वो पूरी तरह से निष्क्रिय हो चुके हैं। नल सूखे पड़े हैं और लोगों को एक-एक बाल्टी पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि गढ़वाल मंडल में जल जीवन मिशन के तहत करीब 800 करोड़ रुपये की लागत से 44 पेयजल योजनाएं चल रही हैं, जिनमें से अकेले 372 करोड़ रुपये की 17 परियोजनाएं हरियाणा की एक कंपनी को दी गई हैं। मोर्चा ने आरोप लगाया कि अधिकारियों और ठेकेदारों की सांठगांठ से इन योजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है।
प्रदेशभर से जुटे लोग, राजधानी में बढ़ता असंतोष
जल संकट और भ्रष्टाचार के विरोध में हुए इस प्रदर्शन में सिर्फ देहरादून ही नहीं, बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों से भी लोग शामिल हुए। यह स्थिति दर्शाती है कि यह संकट केवल राजधानी तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में पानी की आपूर्ति को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
डीबीसी पीजी कॉलेज के पास, डीएल रोड और करनपुर क्षेत्र के निवासियों ने बताया कि पिछले दो दिनों से सुबह और शाम नियमित जल आपूर्ति नहीं हो रही है, जिससे दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है। पानी के टैंकर भी पर्याप्त नहीं हैं और जो टैंकर आ रहे हैं, वे अक्सर एक विशेष मोहल्ले तक ही सीमित रह जाते हैं।
प्रशासन की चुप्पी और जल संस्थान की विफलता
इन आरोपों और जन आक्रोश के बीच जल संस्थान और प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। लोगों का कहना है कि जल संस्थान बार-बार आश्वासन देता है, लेकिन ज़मीनी हकीकत नहीं बदलती। जल जीवन मिशन जैसी महत्त्वाकांक्षी योजना, जो गांव-गांव तक स्वच्छ जल पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, वह भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ती नजर आ रही है।
क्या सरकार लेगी कठोर कदम?
अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार इन आरोपों को गंभीरता से लेकर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करेगी? क्या जल जीवन मिशन जैसी जन-कल्याणकारी योजना को भ्रष्टाचार से बचाया जा सकेगा? और सबसे अहम सवाल—क्या देहरादूनवासियों को जल्द पानी की समस्या से निजात मिल पाएगी?
देहरादून समेत पूरे उत्तराखंड में जल संकट एक विकराल रूप लेता जा रहा है। जल जीवन मिशन में संभावित घोटाले और प्रशासनिक उदासीनता इस संकट को और भी गहरा बना रही है। उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा का प्रदर्शन सिर्फ एक चेतावनी है—यदि समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में जनाक्रोश और विकराल रूप धारण कर सकता है।