बाजार में उपलब्ध होने को तैयार है विश्व प्रसिद्ध हर्षिल का सेव सरकार द्वारा मूल्य न निर्धारित होने से नाराज़ हैं काश्तकार-Newsnetra
रिपोर्ट – दीपक नौटियाल/ हर्षिल उत्तरकाशी
जनपद उत्तरकाशी की हर्षिल घाटी जिसको भारत का स्वीटजरलैंड कहा जाता है हर साल यहां लाखों की संख्या में सैलानी आते हैं ओर यहां की खूबसूरती का दीदार करते हैं पर आज हम बात कर रहे हैं यहां पैदा होने वाले सेव की जिसका इन्तजार लोगों को साल भर रहता है यहां का सेव जितना स्वादिष्ट है उससे भी अधिक यह औषधिय गुणों से भरपूर है 16 सितम्बर से भगवान का आर्शीवाद लेकर यहां के कास्तकार विधिवत इसको पेडों से तोड़ना शुरू कर देते हैं ओर ग्रेडिंग कर मंडियों में भेजना सुरू करते हैं यहां का विल्सन प्रजाति का सेव जिसके बारे में बताया जाता है कि विल्सन नामक अंग्रेज जब यहां आया था तो यहां के वातावरण को देख कर उसने अपने देश से यहां कुछ सेव के पोधे मंगवाकर यहां रोपे यहां के वातावरण ओर मिट्टी से उन पोधो में जो सेव पैदा हुए वह आज विश्वभर में अपनी मीठास के लिए प्रसिद्ध है ओर यहां उस अंग्रेज के नाम पर विल्सन प्रजाति के नाम से इस सेव का नामकरण हुआ इस सेव की क्वालिटी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पेडों पर फूल आने से पहले ही सेव के ठेकेदार यहां डेरा जमाना सुरू कर देते हैं 6 महिनें बर्फ़ में ढके रहने से यहां के सेव औषधिय गुणों से भरपूर होते हैं ओर हमारे शरीर को कहीं बिमारियों से बचाने में मदद करता है इस साल मोसम की मेहरबानी से यहां पर बम्पर मात्रा में सेव की पैदावार हुई है पर यहां का कास्तकार सरकार द्वारा मूल्य निर्धारण न होने के कारण नाराज़ हैं कास्तकारो का कहना है कि एक तो जो यहां का सेव है उसे वह ब्रांड नाम नहीं मिल पाया है जो मिलना चाहिए था वल्कि हिमाचल के ब्रांड के रूप में उसे बेचा जा रहा है साथ ही सरकार द्वारा इसका मूल्य निर्धारित नहीं किया गया है जिसके कारण ठेकेदार औने-पौने दाम पर यहां से सेव खरीदकर मुनाफा कमा रहे हैं ओर काश्तकार खाली है अगर सरकार इसको हर्षिल ब्रांड के नाम से बाजार में उतारे तो कास्तकारी करनें वाले लोगों को बड़ा फायदा होगा