हिमालय के राजा सोमेश्वर का आशीर्वाद: उत्तरकाशी के सीमांत गांवों में सेलकू मेले की धूम-Newsnetra
रिपोर्ट – दीपक नौटियाल/ उत्तरकाशी
सीमांत गांवों में सेलकू मेले की धूम दो दिन तक चलने वाले इस मेले में हिमालय का राजा भगवान सोमेश्वर कुल्हाड़ी के ऊपर चलकर देता है आर्शीवाद तिब्बत व्यापार एवं फसलों की कटाई का भी है महत्व
एंकर-सितंबर महीने के जाते ही जब ठंड अपनी दस्तक देनी सुरू कर देती है तब उत्तरकाशी जनपद के सीमांत गांव मुखवा हर्शिल रैथल बारसू सुक्की यानी की उपला टकनोर में सेलकू मेला मनाया जाता है सेल्कू दो दिन (दिन व रात) मानाया जाता है 16 एवं 17 सितंबर को भाद्र पद की आखिरी रात को सेलकू का अर्थ होता है सोयेगा कोन
मेले में हिमालय के राजा सोमेश्वर देवता की पूजा की जाती है गांव के लोग ऊंचे हिमालय क्षेत्र में जाकर बुग्यालों से वृहम कमल जयाण केदार पाती सहित कहीं प्रकार के फूल देवता को चढ़ाने के लिए लाते हैं चोक में इन फूलों से देवता का स्थान सजाया जाता है रात को गांव के सभी ग्रामीण मशाल लेकर दीपावली मनाते हैं हर घर में मेहमानों के लिए विशेष पकवान बनाते जाते हैं जिसमें देवडा जिसे घी के साथ मेहमानों को खिलाया जाता है अगले दिन देवता की पूजा होती है रासो तांन्दी लगायी जाती है गांव की विवाहित बेटियां इस दिन अपने मायके आकर भगवान सोमेश्वर को भेंट चढ़ाती है ग्रामीण अपनी नयी फसल देवता को भेंट करते हैं आखिर में देवता कुल्हाड़ी पर चलकर आर्शीवाद देते हैं ओर ग्रामीणों की समस्या का समाधान करते हैं
तिब्बत व्यापार से भी इस मेले का इतिहास जुड़ा हुआ है क्योंकि काफी सालों पहले यहां से तिब्बत के साथ व्यापार होता था पर भारत चीन के युद्ध के बाद इसे बन्द कर दिया गया था कहा जाता है कि जब यहां के लोग तिब्बत व्यापार करने जाते थे तो वह दीपावली के काफी समय बाद लोटते थे ओर उन्हीं के स्वागत में इसे दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है
सोमेश्वर देवता पर यहां के लोगों की बड़ी आस्था है यहां के अधिकांश लोगों का पहले मुख्य व्यवसाय भेड़ पालन हुआ करता था ओर अधिकांश लोग भेड़ों के साथ जंगलों में रहते थे वहां उनकी ओर उनकी भेड़ों की रक्षा सोमेश्वर देवता करते हैं ओर उसी के धन्यवाद करने के लिए ग्रामीण गांव लोटने पर उनकी पूजा अर्चना करते हैं सेलकु मेला में भगवान सोमेश्वर डांगरी पर चल कर लोगों की परेशानियों का निवारण करते हैं ओर आर्शीवाद देते हैं