- नहाय खाय से शुरू हो रहा है आस्था का महापर्व : छठ
- 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य प्रदान करने के साथ होगा कठिन व्रत का समापन
हरिद्वार। आस्था का महापर्व छठ का शुभारंभ शुक्रवार 17 नवंबर को नहाय खाय के साथ होने जा रहा है। 18 नवंबर पंचमी को खरना, 19 नवंबर षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और 20 नवंबर सप्तमी को उगते सूर्य को जल अर्पित कर व्रत संपन्न किया जाता है। पूर्वांचल उत्थान संस्था की ओर से छठ पूजा की जोरदार तैयारियां चल रही है।
कार्यक्रम संयोजक रंजीता झा ने बताया कि चार दिन चलने वाला इस पर्व में सूर्य और छठी मैय्या की पूजा की जाती है। इस दिन रखा जाने वाला व्रत बेहद कठिन माना जाता है,क्योंकि इस व्रत को 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए रखा जाता है। इस वर्ष छठ पर्व की पूजा 17 नवंबर 2023 से हो रही है, जिसका समापन 20 नवंबर को होगा। उन्होंने कहा कि पंचमी को खरना,षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और सप्तमी को उगते सूर्य को जल अर्पित कर व्रत संपन्न किया जाता है।
इस दिन रखा जाने वाला व्रत बेहद कठिन माना जाता है, क्योंकि इस व्रत को 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए रखा जाता है। इस वर्ष छठ पर्व की पूजा 17 नवंबर 2023 से हो रही है, जिसका समापन 20 नवंबर को होगा।
कनखल के राधा रास बिहारी घाट पर छठ पर्व की तैयारियों में जुटे आचार्य उद्धव मिश्रा ने कहा कि छठ का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय खाय से शुरू होता है। चार दिनी यह व्रत संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए किया जाता है। इस पर्व में मुख्यतः सूर्य देव को अर्घ्य देने का सबसे ज्यादा महत्व माना गया है।
नहाय-खाय तिथि
छठ पूजा का यह महापर्व चार दिन तक चलता है इसका पहला दिन नहाय-खाय होता है। इस साल नहाय-खाय 17 नवंबर को है। इस दिन सूर्योदय 06:45 बजे होगा वहीं, सूर्यास्त शाम 05:27 बजे होगा। बता दें कि छठ पूजा की नहाय खाय परंपरा में व्रती नदी में स्नान के बाद नए वस्त्र धारण कर शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं। इस दिन व्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।
खरना तिथि
आचार्य उद्धव मिश्रा ने कहा कि खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। इस साल खरना 18 नवंबर को है। इस दिन का सूर्योदय सुबह 06:46 बजे और सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा। खरना के दिन व्रती एक समय मीठा भोजन करते हैं। इस दिन गु़ड़ से बनी चावल की खीर खाई जाती है। इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है। इस प्रसाद को खाने के बाद व्रत शुरू हो जाता है। इस दिन नमक नहीं खाया जाता है।
संध्या अर्घ्य का समय
आचार्य उद्धव मिश्रा ने कहा कि छठ पूजा पर सबसे महत्वपूर्ण दिन तीसरा होता है। इस दिन संध्या अर्घ्य का होता है। इस दिन व्रती घाट पर आकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को दिया जाएगा। 19 नवंबर को सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा। इस दिन टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है। इसके बाद नदी या तालाब में कमर तक पानी में रहकर अर्घ्य दिया जाता है।
उगते सूर्य को अर्घ्य
आचार्य उद्धव मिश्रा ने कहा कि चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण का होता है। इस साल 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय सुबह 06:47 बजे होगा। इसके बाद ही 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है। अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं।
हरिद्वार में सप्तऋषि घाट से लेकर बहादराबाद के गंगनहर पुल के निकट छठ घाट तक पूर्वांचल समाज की ओर से व्यापक स्तर पर तैयारियां की जा रही है। पूर्वांचल उत्थान संस्था, पूर्वांचल जनजागृति संस्था, बिहार भोजपुरी महासभा सहित अन्य संस्थाओं की ओर छठ व्रतियों के लिए समुचित व्यवस्था उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है।
पूर्वांचल उत्थान संस्था के अध्यक्ष सीए आशुतोष पांडेय, महासचिव बीएन राय, रूपलाल यादव, वरूण शुक्ला, संतोष पांडेय, अतुल राय, काली प्रसाद साह, विष्णु देव ठेकेदार, विनोद शाह, डॉ नारायण पंडित, रामसागर जायसवाल, रामसागर यादव, धर्मेंद्र साह, नंदलाल साह, शरमन कुमार सहित अन्य सदस्यों ने अपनी शुभकामनाएं दी हैं।