Republic Day 2024 : कर्तव्य पथ पर पहली बार परेड करती दिखेंगी सेना की नर्सिंग अधिकारी- News Netra
75वें गणतंत्र दिवस के मौके पर पहली बार भारतीय सेना में नर्सिंग अधिकारी के पद पर तैनात महिलाएं कर्तव्य पथ पर परेड करती नजर आएंगी.
इस साल गणतंत्र दिवस परेड में रक्षा बलों की दो महिला मार्चिंग टुकड़ियां हिस्सा लेंगी। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, एक टुकड़ी में सेना, वायु सेना और नौसेना की महिला सैनिक शामिल होंगी, जबकि दूसरी टुकड़ी में सैन्य नर्सें शामिल होंगी। रक्षा अधिकारियों ने यहां कहा, “144 कर्मियों सहित एक टुकड़ी में सभी महिला सैनिक होंगी, जिनमें 60 सेना से और शेष भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना से होंगी।”
इस दल में महिला अग्निवीर सैनिक भी शामिल होंगी जो नौसेना और वायु सेना से होंगी। एक अन्य महिला दल सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं के महानिदेशक का होगा जिसमें सैन्य नर्सिंग सेवाओं की नर्सें शामिल होंगी और परेड में महिला डॉक्टरों द्वारा नेतृत्व किया जाएगा।
नर्सिंग सर्विसेज की स्थापना 1888 में हुई
मिलिट्री नर्सिंग सर्विसेज की स्थापना ब्रिटिश शासन काल के दौरान 19वीं शताब्दी के दौरान हुई. नर्सिंग कौशल की बढ़ती मांग को देखते हुए भारतीय सेना में आर्मी नर्सिंग सर्विसेज की स्थापना 1888 में हुई. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान एमएनएस अधिकारियों ने घायल सैनिकों की देखभाल करके खूब नाम कमाया.
अब महिलाओं के हाथ में सेना की कमान
बता दें कि नौसेना में पहली बार फास्ट अटैक क्राफ्ट की कमान एक महिला को मिली है. अब महिलाओं के लिए पनडुब्बी के दरवाजे भी खुल गए हैं. वायु सेवा में मिसाइल यूनिट की कमान भी महिलाओं को मिल चुकी है. थल सेना की कमान तो करीब 100 महिलाओं के पास है.
बता दें कि सेना में महिलाओं की भर्ती 1993 से शुरू हुई थी. थल सेना में करीब 1800 महिला अधिकारी हैं, तो वायुसेना में 1600 वहीं नौसेना में करीब 600 महिला अधिकारी हैं. पिछले साल से सेवा में महिला अग्निवीरों की भर्ती शुरू हुई थी. तब से अब आर्म्ड फोर्सेज में महिलाओं के तादाद बढ़ने लगी है. वायु सेवा में महिलाएं रफाल जैसे आधुनिक लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं. हेलीकॉप्टर उड़ाने में भी महिलाएं पीछे नहीं हैं. वहीं थल सेना में महिलाएं चीन से लेकर पाकिस्तान सीमा तक पर तैनात हैं.
जंग के मैदान में तोप चलाने को तैयार महिलाएं
महिलाओं के लिए नेशनल डिफेंस एकेडमी में 2022 से हर साल 20 सीट रिजर्व रखी गई है. 2025 से एनडीए में उनका पहला बैच निकलना शुरू हो जाएगा. उसके बाद महिलाएं जंग के मैदान में तोप चला कर दुश्मनों को माकूल जवाब भी दे सकेंगी. दुनिया के सबसे ऊंचे जंग के मैदान सियाचिन में कैप्टन फातिमा वसीम को ऑपरेशनल पोस्ट पर पहली बार तैनाती दी गई है. अगर मेडिकल और नर्सिंग को छोड़ दिया जाए तो तीनों सेनाओं में महिलाओं की तादाद करीब 4,448 है. थल सेना में 3.8 फीसदी , नेवी में 6.5 और वायुसेना में 13 फीसदी महिलाएं हैं. वहीं दुनियाभर में सेनाओं में महिलाओं का औसत प्रतिशत चार से 16 फीसदी है.
सेना में शामिल ये महिलाएं नए बनते भारत का सबसे मानवीय और भरोसेमंद चेहरा हैं. बराबरी के हर मोर्चे पर वह मौजूद हैं. यहां तक पहुंचने से पहले भी उन्होंने कई युद्ध लड़े हैं. घर परिवार और समाज के दबाव से लड़कर और पुरानी सोच और पुरानी मान्यताओं से और अपने भीतर के डर से जंग लड़कर वह यहां तक पहुंची हैं. अब वह भारतीय सेना की बड़ी ताकत हैं.
By Jaya Rautela