News Netra. Com ब्रज किशोर ज्योतिष संस्थान ” डॉ रहमान चौक सहरसा के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा ने बतलाया है की माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है, इसे नरक निवारण चतुर्दशी भी कहते हैं, ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा जी ने बताया है कि इस साल 08 फरवरी, गुरुवार को यह तिथि पड़ रही है,मिथिला क्षेत्र में नरक निवारण चतुर्दशी का व्रत हर उम्र वर्ग के महिला और पुरुष करते हैं इस व्रत को सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रखा जाता है, मिथिला विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार,इस बार संध्या 07.05 के बाद पारण किया जाय तो बेहतर होगा,पुराणों के अनुसार, इस तिथि पर शंकर भगवान की पूजा एवं व्रत करने से आयु में वृद्धि होती है,इस दिन शिव का ध्यान करने से सिद्धियों की प्राप्ति होती है, इस व्रत में बेर का प्रसाद अर्पित करने का विधान है!
इस वजह से खास है यह तिथि
शास्त्रों के अनुसार इस दिन पार्वती माता और भगवान शिव का विवाह तय हुआ था,इस तिथि के ठीक एक महीने के बाद फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ समपन्न हुआ था, इसलिए यह दिन खास महत्व रखता है,वैसे तो हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव की पूजा के लिए श्रेष्ठ है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार माघ और फाल्गुन माह की चतुर्दशी शंकर भगवान को सर्वप्रिय है,जिस कारण इन दोनों ही तिथियों को शिवरात्रि के समकक्ष ही माना जाता है,इस दिन शिव ही नहीं शिव के साथ पार्वती और गणेश की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है।
शास्त्रों के अनुसार, जहां स्वर्ग में मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है वहीं नरक में अपने बुरे कामों के फलस्वरुप कष्ट झेलने पड़ते हैं,इससे मुक्ति पाने के लिए यह तिथि विशेष मानी गई है, इसलिए इसे नरक निवारण चतुर्दशी कहा जाता है, इस दिन विधि विधान से पूजा करके नर्क से मुक्ति मिलती है, (ऐसी पौराणिक मान्यता है )
इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र और बेर जरुर चढ़ाना चाहिए,अगर उपवास करें तो व्रत को बेर खाकर तोड़ना चाहिए,साथ ही इस दिन रुद्राभिषेक करने से भी बहुत लाभ मिलता है।