महाकुंभ के पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा में संगम तट पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब-Newsnetra
13 जनवरी (आईएएनएस) – संगम तट पर इन दिनों श्रद्धा और आस्था का अनुपम दृश्य देखने को मिल रहा है। महाकुंभ के पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर देश के कोने-कोने से आए लाखों श्रद्धालु और कल्पवासी आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं। आधी रात से ही श्रद्धालुओं की भीड़ संगम तट पर जुटने लगी, और उनके ‘हर-हर गंगे’ और ‘जय श्रीराम’ के गगनभेदी जयकारों से पूरा मेला क्षेत्र गूंज उठा।
संगम पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
पौष पूर्णिमा का यह स्नान पर्व महाकुंभ मेले के महत्वपूर्ण आयोजनों में से एक है। इस दिन गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है, ऐसा मान्यता है। स्नान के लिए श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा है। संगम तट पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
कल्पवास की शुरुआत
पौष पूर्णिमा से ही संगम तट पर कल्पवास की शुरुआत हो जाती है, जो महाकुंभ का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। कल्पवासी संगम के किनारे तंबू लगाकर पैंतालीस दिनों तक साधना, उपवास और भजन-कीर्तन में समय बिताते हैं। इस दौरान वे कठिन नियमों का पालन करते हैं, जिनमें ब्रह्मचर्य, उपवास और संगम स्नान अनिवार्य होता है।
शाही स्नान का महत्व
महाकुंभ के दौरान पौष पूर्णिमा के बाद प्रमुख स्नान पर्वों में सबसे महत्वपूर्ण पहला शाही स्नान होता है, जो इस वर्ष मकर संक्रांति के दिन यानी मंगलवार को होगा। इस दिन अखाड़ों के साधु-संतों का भव्य जुलूस निकलता है, जिसमें वे संगम तट पर स्नान करते हैं। इस भव्य आयोजन को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं।
सुरक्षा व्यवस्था
महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन द्वारा सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। पूरे मेला क्षेत्र में पुलिस बल, सिविल डिफेंस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को तैनात किया गया है। मेला क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है, ताकि हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखी जा सके।
महाकुंभ: आस्था, संस्कृति और परंपरा का मिलन
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं का प्रतीक भी है। देशभर से लाखों श्रद्धालु यहां एकत्र होकर भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता को दर्शाते हैं। पौष पूर्णिमा से लेकर अंतिम स्नान पर्व तक संगम तट पर आस्था और भक्ति का ऐसा दृश्य बनता है, जो पूरे विश्व में अद्वितीय है।
निष्कर्ष
महाकुंभ के पहले स्नान पर्व पर संगम तट का दृश्य अद्भुत और अलौकिक है। पौष पूर्णिमा के इस पवित्र अवसर पर संगम में स्नान करने का महत्व श्रद्धालुओं के लिए विशेष होता है। कल्पवासियों का साधना में लीन होना और शाही स्नान की तैयारी इस महायज्ञ को और भी भव्य बना देती है। महाकुंभ की यह परंपरा न केवल भारतीय धार्मिक आस्था की गहराई को दर्शाती है, बल्कि यह विश्वभर के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र भी बनती है।
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