स्थान – अयोध्या उत्तर प्रदेश
अयोध्या में भव्य राम मंदिर का हो रहा है निर्माण
राम मंदिर का निर्माण उत्तर प्रदेश के अयोध्या में हो रहा है सनातन धर्म के आस्थावान अयोध्या को राम की जन्म भूमि मानते है इस जन्म भूमि में राम मंदिर के निर्माण के लिए कई साल तक माननीय सर्वोच्च न्यायालय मे याचिका दायर होती रही लेकिन कोई फैसला नी हुआ
राम मंदिर के लिए भूमि पूजन अगस्त 2020 मे हुआ था इस भूमिपूजन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भी सामिल हुए थे राम मंदिर 22 जनवरी 2024 का दिन हिंदू धर्म के सुनहरे अक्षरों मे दर्ज किया जाएगा क्योंकि इस दिन सालों बाद रामलल्ला अपने भव्य मंदिर में विराजित होंगे अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का रूपरेखा तय हो चुकी है
राम मंदिर मे 15 से 22 जनवरी 2024 का शेड्यूल
1- 15 जनवरी 2024 – इस दिन मकर संक्रांति पर खरमास खत्म हो रहे हैं. रामलला के विग्रह यानी श्रीराम के बालरूप की मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा.
2 – 16 जनवरी 2024 – इस दिन से रामलला के विग्रह के अधिवास का अनुष्ठान भी शुरू हो जाएगा.
3- 17 जनवरी 2024 – इस दिन से रामलला की प्रतिमा को नगर भ्रमण के लिए निकाला जाएगा.
4- 18 जनवरी 2024 – इस दिन से प्राण-प्रतिष्ठा की विधि आरंभ होगी. मंडप प्रवेश पूजन, वास्तु पूजन वरुण पूजन, विघ्नहर्ता गणेश पूजन और मार्ति का पूजन होगा.
5- 19 जनवरी 2024 – राम मंदिर में यज्ञ अग्नि कुंड की स्थापना की जाएगी. खास विधि द्वारा अग्नि का प्रज्वलन होगा.
6- 21 जनवरी 2024- इस दिन यज्ञ विधि में विशेष पूजन और हवन के बीच राम लला का 125 कलशों से दिव्य स्नान होगा.
7- 22 जनवरी 2024 – को प्राण प्रतिष्ठा होनी है. इस दिन मध्यकाल में मृगशिरा नक्षत्र में रामलला की महापूजा होगी.
राम लला प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त
अयोध्या में राम मंदिर के लिए करीब पांच शताब्दियों का इंतजार खत्म होने वाला है. राम मंदिर में राम लला की मूर्ति स्थापना के लिए 22 जनवरी 2024 को 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक रहेगा. प्राण प्रतिष्ठा के लिए सिर्फ 84 सेकंड का मुहूर्त रहेगा.
Ayodhya Ram Mandir : त्रेतायुग थीम से सज रही है अयोध्या नगरी, जानें किस तरह का था त्रेतायुग
अयोध्या में राम मंदिर की तयारियां जोरो सोरो से चल रही है आपको बता दे कि अयोध्या में 2.7 एकड़ में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है इस मन्दिर की ऊंचाई लगभग 162 फिट की होगी इस पूरे मंदिर परिसर में भगवान राम के मंदिर के साथ ही और भी 6 मंदिर बनाए जा रहे हैं. मंदिर के मुख्य द्वार को सिंह द्वार के नाम से जाना जाएगा. वहीं पूरे अयोध्या को त्रेतायुग थीम से सजाया जा रहा है सड़कों के किनारे सूर्य स्तंभ भगवान राम के सूर्यवंशी होने के प्रतीक को दर्शाते है जिला प्रशासन के मुताबिक धर्म पंथ के सड़कों के किनारे दीवार बन रही है जिस पर रामायण काल के प्रसंगों को दर्शाया जाएगा. दीवारें टेराकोटा फाइन क्ले म्यूरल कलाकृतियों से सजी होंगी जो त्रेतायुग की याद दिलाएगी. वहीं अयोध्या में अब रंग रोगन, साफ सफाई और कलाकृति का काम हर तरफ नजर आता है.
Ayodhya Ram Mandir : सूर्य स्तंभों से सजाई जा रही है अयोध्या की सड़के
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समारोह से पहले शहर की एक प्रमुख सड़क को सूरज की थीम वाले सूर्य स्तंभों से सजाया जा रहा है तीस फूट ऊंचे प्रत्येक स्तंभ मे एक सजावटी गोला है जो रात में लाइट जलने पे सूर्य जैसा दिखता है उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग पीडब्ल्यूडी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऐसे 40 स्तंभ धर्म पाठ मार्ग पर लगाए जाएंगे जो नया घाट के पास लता मंगेशकर चौक को अयोध्या बाईपास से जोड़ता है पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता एपी सिंह ने बताया नवनिर्मित राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से पहले इन सूर्य स्तंभों को स्थापित किया जा रहा है इनमे से लता मंगेशकर चौक के पास सड़क के दोनो ओर 10- 10 स्तंभ लगाए जाएंगे
Ayodhya Ram Mandir : अयोध्या राम मन्दिर आरती का समय
आपको बता दे की अयोध्या राम मन्दिर में आरती तीन टाइम की जाएगी आरती का सुबह समय 6:30 बजे दोपहर 12 बजे और श्याम 7: 30 बजे होगा अगर आप रामलला के अभिषेक समारोह 22 जनवरी से पहले राम मन्दिर जन्म भूमि मंदिर में आरती में शामिल होना चाहते है तो आपको इसके लिए बुकिंग करवानी होगी इसके लिए बुकिंग 28 दिसंबर से शुरू हो गई है
सुबह 6:30 बजे – श्रृंगार आरती
दोपहर 12 बजे – भोग आरती
श्याम 7:30 बजे – संध्या आरती
जानिए राम मंदिर का इतिहास
हिन्दुओं की मान्यता है कि श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और उनके जन्मस्थान पर एक भव्य मन्दिर विराजमान था जिसे मुगल आक्रमणकारी बाबर ने तोड़कर वहाँ एक मस्जिद बना दी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में इस स्थान को मुक्त करने एवं वहाँ एक नया मन्दिर बनाने के लिये एक लम्बा आन्दोलन चला।वर्ष 1528- राम मंदिर गिराकर विवादित ढांचा (बाबरी मस्जिद) का निर्माण हुआ। इसे मुगल शासक बाबर ने बनवाया था, इस वजह से इसे बाबरी मस्जिद कहा जाने लगा। वर्ष 1853- पहली बार अयोध्या में विवादित स्थल के पास सांप्रदायिक दंगा हुआ।
वर्ष 1949- विवादित स्थल पर भगवान राम की मूर्तियां मिलीं। अगस्त 2003 में पुरातात्विक विभाग के सर्वे में कहा गया कि जहां बाबरी मस्जिद बनी थी, वहां मंदिर होने के संकेत मिले हैं। भूमि के अंदर दबे खंबे और अन्य अवशेषों पर अंकित चिन्ह और मिली पॉटरी से मंदिर होने के सबूत मिले हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा हर मिनट की वीडियोग्राफी और स्थिर चित्रण किया गया। इस खुदाई में कितनी ही दीवारें, फर्श और बराबर दूरी पर स्थित 50 जगहों से खंभों के आधारों की दो कतारें पाई गई थीं। एक शिव मंदिर भी दिखाई दिया। जीपीआरएस रिपोर्ट और भारतीय सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट अब उच्च न्यायालय के रिकार्ड में दर्ज हैं। 30 सितम्बर, 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ ने विवादित ढांचे के संबंध में ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति एसयू खान ने एकमत से माना कि जहां रामलला विराजमान हैं, वही श्रीराम की जन्मभूमि है।
पहले कैसी थी अयोध्या….?
अयोध्या पहले कौशल जनपद की राजधानी थी। वाल्मीकि कृत रामायण के बालकाण्ड में उल्लेख मिलता है कि अयोध्या 12 योजन-लम्बी और 3 योजन चौड़ी थी। वाल्मीकि रामायण में अयोध्या पुरी का वर्णन विस्तार से किया गया है। रामायण में अयोध्या नगरी के सरयु तट पर बसे होने और उस नगरी के भव्य एवं समृद्ध होने का उल्लेख मिलता है। वहां चौड़ी सड़के और भव्य महल थे। बगीचे और आम के बाग थे और साथ ही चौराहों पर लगने वाले बड़े बड़े स्तंभ थे। हर व्यक्ति का घर राजमहल जैसा था। यह महापुरी बारह योजन (96 मील) चौड़ी थी। इस नगरी में सुंदर, लंबी और चौड़ी सड़कें थीं। इन्द्र की अमरावती की तरह महाराज दशरथ ने उस पुरी को सजाया था।
Arcticle Writen By : Akhilesh Joshi