बतौर मुख्यमंत्री धामी के तीन साल के शासनकाल में उत्तराखंड और उत्तराखंडियत
दोनों को हुआ नुकसान – गरिमा मेहरा दसौनी-Newsnetra
भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रदेश भर में पुष्कर सिंह धामी के बतौर मुख्यमंत्री तीन साल का कार्यकाल पूरा होने पर मनाए जा रहे जश्न पर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने पानी फेर दिया।
दसौनी ने कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा की पुष्कर सिंह धामी जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही उत्तराखंड को बहुत नुकसान हुआ है ,एकतरफ जहां मूल निवास और भू कानून पर सरकार का कोई स्पष्ट दृष्टिकोण नहीं आया, वहीं दूसरी ओर गैरसैण को भी भुला दिया गया ।
दसौनी ने कहा की उत्तराखंड जहां एक गुलदस्ते की तरह सौहार्दपूर्ण माहौल था पूर्ण माहौल था उस भाई चारे को कभी धर्मांतरण, कभी लैंड जिहाद तो कभी यूसीसी के नाम पर चोट पहुंचाई गई।
दसोनी ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रशासनिक तौर पर एक बहुत ही कमजोर मुख्यमंत्री साबित हुए ,उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार अपने चरम पर रहा प्रदेश में लोकायुक्त का गठन तो नहीं हो पाया परंतु भर्ती घोटालो मैं भाजपाइयों की संलिपितत की वजह से मुख्यमंत्री कि पूरे देश भर में किरकिरी हुई। दसौनी ने कहा कि किस तरह से इनकी कथनी और करनी में फर्क है वह इस बात से पता चलता है कि भारतीय जनता पार्टी जो स्वयं को बहुत ही संस्कारी और राजनीतिक सुचिता वाली पार्टी बताती है वह एक ओर बिजनौर से आयात किए हुए व्यक्ति को मदरसा बोर्ड का अध्यक्ष बना देती है और वही हरियाणा के व्यक्ति को मंगलोर का प्रत्याशी भाजपा द्वारा बना दिया जा रहा है। दसोनी ने कहा कि यह सारे निर्णय पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में लिए जा रहे है,गरिमा ने कहा कि यदि सदन में बाहरी लोग पहुंचेंगे तो फिर पहाड़ों के लिए नीतियां कौन और क्यों बनाएगा।
दसौनी ने कहा कि एक तरफ जहां इन्वेस्टर सम्मिट को पुष्कर सिंह धामी की उपलब्धि बताई जा रही है तो सरकार को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि कि इसके आयोजन में प्रदेश का कितना पैसा खर्च हुआ और कितना निवेश 2 साल बाद आ चुका है? कौन से विभाग मे कितने उद्योग लगे और कितने उत्तराखंडी युवाओं का रोजगार का जुगाड़ हुआ?
दसोनी ने कहा सीएम हेल्पलाइन को भी मुख्यमंत्री की उपलब्धि में गिना जा रहा है जबकि 2 दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने जो समीक्षा बैठक ली उसमें यह सच सबके सामने आ चुका है कि अधिकारियों ने तीन-तीन महीने से अपनी सीएम हेल्पलाइन की साइट तक नहीं खोली थी
दसौनी ने कहा कि यह पुष्कर सिंह धामी का फेलियर ही कहा जा सकता है कि आज प्रदेश में जगह-जगह नाबालिग बच्चियों के साथ न सिर्फ सामूहिक दुष्कर्म हो रहा है बल्कि उनकी हत्या तक कर दी जा रही है भ्रष्टाचारियों अपराधियों और बलात्कारी की नजर में सरकार और प्रशासन का कोई डर और वह दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ता खनन माफिया भू माफिया लकड़ी माफिया और शराब माफिया पूरी तरह से सरकार पर हावी दिखाई दे रहे हैं। कानून व्यवस्था का पटरी से उतरना स्वास्थ्य शिक्षा सेवाओं का लाचार होना इन सब बातों का सेहरा भी तो मुख्यमंत्री के ही सर पर चढ़ेगा
गरिमा ने कहा कि सबसे विचित्र बात धामी कार्यकाल की यह रही कि मुख्यमंत्री और मंत्री मंडल के सदस्यों के बीच में समन्वय की भारी कमी देखने को मिली, एकला चलो की रणनीति पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चल रहे हैं न अंकिता भंडारी को न्याय मिला ,न केदारनाथ में हुई 200 किलो सोना चोरी की जांच हुई, भर्ती घोटालों पर रोक नहीं लगी, किसानों को समर्थन मूल्य नहीं मिला, युवाओं को लाठियां से पीटा गया गरीबों के घर बुलडोजर से तोड़ दिए गए और धामी राज में तुष्टिकरण को बढ़ावा दिया गया । कुल मिलाकर कहा जा सकता है की मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी पूरी तरह से असफल मुख्यमंत्री साबित हुए हैं जो ना अधिकारियों पर लगाम लगा पाए और ना ही अपने मंत्रियों विधायकों पर।
बतौर मुख्यमंत्री धामी के तीन साल के शासनकाल में उत्तराखंड और उत्तराखंडियत
दोनों को हुआ नुकसान – गरिमा मेहरा दसौनी-Newsnetra
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