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how-to-control-obesity बचपन का मोटापा भारत में एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभरा है। हाल के शोध के अनुसार भारत में बचपन में मोटापे की व्यापकता लगातार बढ़ रही है। how-to-control-obesity
विश्व मोटापा दिवस के उपलक्ष्य में एम्स ऋषिकेश में आयोजित कार्यक्रम में संस्थान के विशेषज्ञों ने अपनी राय से जनसामान्य को अवगत कराया है। संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ. ) मीनू सिंह ने बताया कि भारत में बचपन में मोटापे की बढ़ती समस्या कई जोखिमों का कारक बन रही है। इनमें प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पैकिंग फूड, खाद्य सामग्री की बढ़ती खपत जैसे आहार संबंधी कारक प्रमुखरूप से शामिल हैं, जिनमें खाद्य पदार्थ में कम पोषक तत्व पाए जाते जाते हैं। how-to-control-obesity
उन्होंने बताया कि इन खाद्य पदार्थों में शर्करा और वसा की मात्रा अधिक होती है। बचपन का मोटापा अस्वास्थ्यकर, उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से शरीर के लिए हानिकारक साबित होता है। ऐसे भोजन के इस्तेमाल को रोकने के लिए माता-पिता के साथ साथ बच्चों को जागरुक होने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि फ्रंट ऑफ पैकेज लेबलिंग भारत और विश्व स्तर पर बचपन में मोटापे की बढ़ती समस्या से निपटने में एक महत्वपूर्ण कारक बन सकता है। बच्चों के स्क्रीन पर अधिक समय बिताने और बाहर खेलने के लिए जाने में कम रुचि के कारण शारीरिक गतिविधि के स्तर में कमी से उत्पन्न गतिहीन जीवनशैली भी भारत में बच्चों में मोटापे की बढ़ती समस्या व इसके दुष्प्रभावों के लिहाज से महत्वपूर्ण कारक बन रहा है, ऐसे में बच्चों की दिनचर्या में सुधार की नितांत आवश्यकता है। how-to-control-obesity
कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने बताया कि बचपन के मोटापे की रोकथाम के लिए कई निवारक उपायों को अपनाकर बचपन में बढ़ते मोटापे की समस्या का समाधान किया जा सकता है। सामान्यतौर पर बच्चों और उनके परिवारजनों को स्वस्थ खान-पान को लेकर जागरुक करने, गलत तरह के खाद्यपदार्थों से होने वाले नुकसान से आगाह करने और नियमित शारीरिक गतिविधि, व्यायाम आदि को बढ़ावा देना आदि इसकी रोकथाम के उपायों में प्रमुखरूप से शामिल है।
स्कूल-आधारित गतिविधियों के तहत भी पोषण शिक्षा कार्यक्रमों को लागू करना और पाठ्यक्रम में शारीरिक गतिविधियों को शामिल करने से बचपन में मोटापे की व्यापकता को कम किया जा सकता है। how-to-control-obesity
उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकारी स्तर पर बच्चों के लिए अस्वास्थ्यकारक खाद्य पदार्थों के विपणन को विनियमित करना और सामाजिक स्तर पर बच्चों की शारीरिक गतिविधियों के लिए सहायक वातावरण बनाकर बचपन के बढ़ते मोटापे की समस्या से निपटा जा सकता है। how-to-control-obesity
एपिडेमियोलॉजी फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. उमेश कपिल ने बताया कि मोटापे की वैश्विक स्तर पर लगातार बढ़ती समस्या और इससे जुड़े गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) से निपटने में नागरिक समाज संगठन महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में खड़े हैं। भारत में जहां मोटापे और संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं की दर बढ़ रही है यह चिंताजनक है, जिसकी रोकथाम के लिए प्रभावी उपाय किए जाने की आवश्यकता है। how-to-control-obesity
डॉ. कपिल ने बताया कि खाद्य उत्पादों पर फ्रंट ऑफ पैकेज लेबलिंग (एफओपीएल) उपभोक्ताओं को पैकेज्ड खाद्य पदार्थों की पोषण सामग्री के बारे में स्पष्ट व आसानी से समझने योग्य जानकारी प्रदान करता है। यह व्यवस्था उपभोक्ताओं को बाजार से खाद्यसामग्री के स्वस्थ विकल्प चुनने के लिए प्रेरित करता है, लिहाजा इसके प्रति आम जनमानस को जागरुक होने की जरुरत है। how-to-control-obesity
उन्होंने बताया कि सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठन पैकेज लेबल नियमों को व्यापकरूप से लागू कराने में जनस्वास्थ्य के मद्देनजर सरकार और उपभोक्ताओं के मध्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। how-to-control-obesity
उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकारी निकायों, गैर सरकारी संगठनों, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और निजी क्षेत्र के बीच सकारात्मक व सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से भारत के स्वस्थ भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। ऐसा करने से जहां वाल्यकाल में लगातार बढ़ती मोटापे की दर में गिरावट आएगी, वहीं दूसरी ओर गैर संचारी रोगों में भी अप्रत्याशितरूप से कमी दर्ज की जाएगी, लिहाजा इसके लिए यह भी जरुरी है कि इस तरह की नीति तैयार करने वाले इन तमाम गतिविधियों पर गौर करें और भारत में मोटापे से निपटने और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के व्यापक दृष्टिकोण के साथ मजबूत एफओपीएल नीतियों के क्रियान्वयन को प्राथमिकता दें। how-to-control-obesity