Uttarakhand News: आम जनता के हितार्थ बनाये गए कानूनों पर नहीं हो रहा अमलः गरिमा दसौनी-Newsnetra
राज्य सरकार अपने फर्ज को नहीं निभा रही है इंडिया गठबन्धन और उत्तराखंड की जनता की गंभीर चिंता है कि आम जनता के हकों के लिए बनाये हुए जनहित कानूनों पर अमल ही नहीं हो रहा है। यहां इंडिया गठबंधन की ओर से उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित की गई पत्रकार वार्ता में कांग्रेस की मुख्य प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा है कि जनहित कानूनों की धज्जिया उड़ा कर राज्य सरकार पहाड़ों में लोगों के दुकानों एवं घरों को हटाना चाहती है, शहरों में गरीबों को बेदखल करने की धमकी दे रही है, उन्होंने कहा कि वन जमीन पर रह रहे लोगों का उत्पीड़न कर रही है और राजनैतिक फायदा के लिए नफरत फैला रही है।
उन्होंने कहा कि गरीबों को हटाने की योजना सरकार की है अतिक्रमण के नाम पर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है जिसे सहन नहीं किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इससे लाखों लोगों के घर, दुकान, और आजीविका खतरे में हैं और लेकिन साथ साथ कॉरपोरेट घरानों को सरकारी जमीन सस्ते रेट पर देने के लिए सर्विस सेक्टर पालिसी लायी गयी है जो जन विरोधी है। इस अवसर पर इंडिया गठबंधन के सपा के राष्ट्रीय सचिव डाक्टर सत्य नारायण सचान ने कहा है कि वन अधिकार कानून यूपीए सरकार के समय बना था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में किया गया अध्ययन के अनुसार उत्तराखंड में इसके अंतर्गत कम से कम 6,91,488 हेक्टेयर वन जमीन पर स्थानीय पहाड़ी गांववासियों का प्रबंधन एवं रक्षा करने का हक है। उन्होंने कहा कि लाखों लोगों को भी अधिकार पत्र मिलना चाहिए था। उन्होंने कहा कि लेकिन उल्टा वन जमीन से लगातार मकानों, दुकानों, एवं धर्म स्थलों को बेदखल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शहर की मलिन बस्तियों का पुनर्वास एवं नियमितीकरण के लिए 2016 में कांग्रेस सरकार ने अधिनियम बनाया था। बड़ा जन आंदोलन के बाद 2018 में सरकार ने पुनर्वास कराने के नाम पर कानून द्वारा बेदखली पर रोक लगायी थी। वह कानून इस साल खतम हो रहा है लेकिन हैरान करने वाली बात है कि जहाँ तक देहरादून शहर की बात है।