हिमाचल के मंडी जिले की “जंजैहली घाटी की यात्रा” पर लोकेश नवानी-Newsnetra
जंजैहली घाटी की यात्रा
(यात्रा संस्मरण : लोकेश नवानी)
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मैं पिछले 10 दिन से सुंदर नगर, जिला – मंडी, हिमाचल प्रदेश में हूं। हर दिन कहीं न कहीं भ्रमण पर निकल रहा हूं। 26 अप्रैल को हिमाचल के मंडी जिले की जंजैहली घाटी के भ्रमण पर गया। यह घाटी न केवल बहुत सुंदर और समृद्ध घाटी है बल्कि सेब उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। सेब के बागानों की इतनी बड़ी संख्या है कि आप हर जगह सेब के बाग देख सकते हैं। आजकल सेब पर फ्लावरिंग हो रही है। फूलों से लदे सेब के पेड़ सुंदर तो लगते ही हैं खुशहाली की उम्मीद जगाते हैं। सेब यहां की अर्थव्यवस्था के निर्माण में बड़ा योगदान करते हैं। शायद उत्पादक होने से ही लोग यहां बसे हुए हैं। धरती संभावनाओं से भरी हुई है। लोगों ने अभी से हेलनेट लगा दी हैं। यहां के लोग वैज्ञानिक ढंग से खेती करते हैं। हर जगह बीजों, कृषि उपकरणों और दवाइयों की दुकानें दिखाई देती हैं। मटर, टमाटर और गोभी की पौध देख रहा हूं। मकान इतने सुंदर और भव्य हैं कि लगता है हम किसी दूसरे लोक में हैं। नियमित और अच्छी आय होने से ही लोग इतने अच्छे मकान बनाते होंगे। और इसीलिए उनका अपना शिल्प और भवन निर्माण कला भी दिखाई देती है। सुंदर और आलीशान घर संकेत देते हैं कि पूरी घाटी समृद्ध और संपन्न है। यह जगह सुंदर नगर से लगभग 85 किलोमीटर है।
यह एक हरी भरी घाटी है। इसकी विशेषता यह है कि यहां एक भी खेत बंजर नहीं है। लोगों के आंगन में भी सेब के पेड़ मिल जाएंगे। ऐसा लगा कि सेब बेल्ट काफल बेल्ट से ऊपर होती है। जहां सेब अच्छे होते हैं।
काश उत्तराखंड की घाटियां भी इतनी समृद्ध और सुंदर बन पातीं!
उत्तराखंड में इसके लिए सामाजिक स्तर पर अभियान चलाए जाने चाहिए। समाज की भागीदारी के बिना उत्तराखण्ड का फल प्रदेश का सपना केवल कल्पनाओं में ही दिखता है।
जंजैहली से लगभग 16-17 किमी दूर एक बहुत खूबसूरत धार्मिक पर्यटन स्थल है: शिकारी देवी मंदिर। शिकारी देवी मां दुर्गा का ही एक रूप है। अनेक स्थानीय कहानियां और मिथ प्रचलित हैं उनके बारे में। मंदिर परिसर पर लगे बोर्ड पर 3359 की ऊंचाई अंकित है। बहुत ठंडा स्थान है। यहां बर्फ अभी भी पिघली नहीं है। रास्ते में देखने को मिल जाती है। मुझे वहां पहुंचते ही जैकेट पहननी पड़ी। यहां देवदार तथा ऐसी दूसरी प्रजातियों और बांज (ओक) की प्रजाति के तिलोंज वृक्षों का खूबसूरत जंगल हैं। ये पेड़ 300 से 400 साल से भी अधिक समय के लगते हैं। पेड़ बहुत ऊंचे हैं और वनों को ऊपर से देखने पर ऐसे लगते हैं, मानो किसी माली ने उन्हें ऊपर से एकसर संवार दिया हो। लोग वनों के इस सौंदर्य को देखने भी आते हैं। ऊंचाई पर बिना वृक्षों वाले घास के पहाड़ भी अपने सौंदर्य से आकर्षित करते हैं।
जंजैहली एक पर्यटन स्थल है। यहां बहुत अच्छे, भव्य और होटल हैं। महिंद्रा क्लब भी है। दिल्ली और पंजाब से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। मुझे लगता है लोग केवल सुंदरता नहीं, यहां की समृद्धि, भवन निर्माण और हर चीज की सहज उपलब्धता के लिए यहां आते हैं।