नचिकेता ताल जहां आज भी छिपा है मृत्यु के बाद का रहस्य-Newsnetra
रिपोर्ट – दीपक नौटियाल उत्तरकाशी
एंकर- सीमांत जनपद उत्तरकाशी यहां प्रकृति कहीं रहस्यों की रचना कर एक नयी पहेली छोड गयी है भविष्य के लिए ये शब्द हम इस लिए कह रहे हैं कि आज तक जनपद उत्तरकाशी में कहीं आपदाओं ने दस्तक दी ओर हर आपदा के बाद यहां प्रकृति ने ओर भी रंग भरे पर आज हम जिस स्थान की बात कर रहे हैं वह न तो देव लोक में है न पाताल लोक में जी हां जनपद उत्तरकाशी में स्थित है नचिकेता ताल जहां आज भी मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है उसका रहस्य छुपा है
जनपद उत्तरकाशी से 28किलोमीट गाड़ी के सफर के बाद तीन किलोमीटर पैदल चढ़ाई के बाद समुद्र तल से 2800, मीटर की दूरी पर बसा है एक ऐसा ताल जो गर्मी ओर सर्दी में एक जैसे तापमान में बना रहता है इसका जलस्तर ओर जल का श्रोत कहा है आज तक रहस्य बना हुआ है कठोपनिषद के अनुसार नचिकेता नामक बालक ने यहां तपस्या की थी
क्यों की थी वह तपस्या जरा ये जानिए
कलयुग के आरंभ से पहले नचिकेता के पिता ने यज्ञ किया था जिसमें उन्होंने गायदान किया था पर उसमें कही गायें ऐसी थी जो अपने जीवन के अंतिम समय के कारण बूढी हो गयी थी जब नचिकेता के पिता ने इन बूढी गाययो को दान में देने की बात कही तो अबोध बालक नचिकेता ने उन्हें ऐसा करने से रोकना चाहा जिससे उनके पिता ने कहा कि मैं तुम्हें यमराज को दान करता हूं बालक नचिकेता लगातार तीन दिन तक यम की साधना में लीन हो गया तीन दिन बाद जब यमराज ने इस बालक की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें साक्षात् दर्शन दिए ओर तीन वरदान मांगने को कहा ओर यहीं से सुरू होता है मृत्यु लोक का रहस्य जब नचिकेता ने यमराज से यह प्रश्न किया तो यमराज भी जवाब देने में असमर्थ दिखाई दिए
नचिकेता ताल से कुछ दूरी पर यम गुफा है बताया जाता है कि इसी गुफा से नचिकेता यमलोक पहुंचे थे वर्तमान में यह स्थान घने जंगलों के बीच स्थित है ओर ताल हर मोसम में लबालब भरा रहता है जिसकी गहराई आजतक कोई नहीं नाप पाया है ओर यह पानी कहां जाता है यह भी आजतक बड़ा रहस्य बना हुआ है
रात के समय यहां पर किसी भी प्रकार की ध्वनि निकलना मना है जिसके बारे में यहां के पुजारी बताते हैं कि यहां पर देवता स्नान करने के लिए आते हैं ओर उनके साथ कहीं ऐसी शक्तियां भी होती है जो सामने दिखाई देने पर जीवित मनुष्य को अपने साथ ले जाती है फिलहाल आजतक यमगुफा कितनी लम्बी है यह भी एक पहेली हैं क्योकि जो भी इस गुफा के अन्दर गया उसका आजतक पता नहीं चला है
नैसर्गिक सौंदर्य एवं प्रकृति की खूबसूरत कलाओं से निर्मित इस ताल की खूबसूरत ऐसी है जो एकबार यहां आता है दुबारा आने की जरूर कोशिश करता है