ऋषिकेश में मूल निवास और भू कानून स्वाभिमान रैली: उत्तराखंड में आंदोलन की नई लहर-Newsnetra
रविवार को ऋषिकेश के आईडीपीएल हॉकी मैदान में आयोजित “मूल निवास और भू कानून स्वाभिमान रैली” ने तीर्थ नगरी में एक नई हलचल मचा दी। इस रैली में हजारों लोग जुटे, जिसमें अप्रत्याशित रूप से महिलाओं की भागीदारी अधिक रही। यह दृश्य एक बार फिर से उस 1994 के दौर की याद दिलाने वाला था, जब उत्तराखंड आंदोलन में महिलाओं ने दरांती लेकर मोर्चा संभाला था और राज्य की आजादी के लिए संघर्ष किया था।
12 किमी का मार्च और त्रिवेणी घाट पर जुटी भीड़
आईडीपीएल मैदान से करीब 12 किलोमीटर लंबा मार्च निकालते हुए जब पहले जत्थे के लोग त्रिवेणी घाट पहुंचे, तो ऐसा लगा कि शायद लोगों का हौसला सीमित है। लेकिन जल्द ही एक के बाद एक जत्थे त्रिवेणी घाट पर जमा होने लगे। कुछ ही देर में वहां हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा हो गए, जो भीषण गर्मी के बावजूद जोर-शोर से अपनी मांगों के समर्थन में हुंकार भर रहे थे। यह पूरे राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत था कि अब उत्तराखंड के लोग किसी तरह के बहकावे में आने वाले नहीं हैं और अपने हक के लिए मजबूती से खड़े हैं।
राज्य में नशा बिक्री पर प्रतिबंध और स्थानीय रोजगार की मांग
रैली में एक और प्रमुख मुद्दा राज्य में नशे की बढ़ती समस्या को लेकर उठा। आंदोलनकारियों ने मांग की कि उत्तराखंड में नशे की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाए, क्योंकि यह राज्य की युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रही है। इसके अलावा, स्थानीय रोजगार को लेकर भी रैली में तीखी आवाजें उठीं।
आंदोलन के प्रमुख नेता मोहित ने इस मौके पर लोगों की नब्ज को पहचानते हुए सवाल उठाया, “क्या हमें मंजूर है कि हमारी जमीन पर बने एम्स जैसे संस्थानों में बाहरी लोगों को नौकरियां दी जा रही हैं, जबकि पहाड़ के युवा रोजगार से वंचित हैं?” मोहित के इस सवाल ने जनता के बीच गुस्से की एक नई लहर पैदा कर दी, जिससे रैली और भी उग्र हो गई।
अंकिता भंडारी हत्याकांड और वीआईपी का सवाल
रैली में अंकिता भंडारी हत्याकांड का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया गया। इस घटना के बाद राज्य में जनता का गुस्सा उफान पर था, और इस रैली में उस वीआईपी का खुलासा करने की मांग जोर पकड़ गई, जिसे इस हत्याकांड का मुख्य कारण बताया गया था। इस संदर्भ में, जब विधानसभा में मंत्री प्रेमचंद ने कहा था कि कोई वीआईपी नहीं था, बल्कि एक वीआईपी रूम था, तब से ही जनता के बीच असंतोष की भावना और बढ़ गई। रैली में इस सवाल का जवाब मांगा गया और आंदोलनकारियों ने इसे लेकर राज्य सरकार पर सीधा दबाव बनाने की बात कही।
सत्ता प्रतिष्ठान के लिए चेतावनी
यह रैली उत्तराखंड की जनता के बढ़ते असंतोष का प्रतीक बन गई है। भीषण गर्मी के बावजूद हजारों की संख्या में लोगों का जुटना यह साबित करता है कि अब जनता अपने हक के लिए खड़े होने को तैयार है। रैली ने राज्य सरकार और सत्ता प्रतिष्ठान को यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि अब लोगों को बहकाना इतना आसान नहीं होगा, और यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो आंदोलन और भी व्यापक रूप ले सकता है।
ऋषिकेश की इस रैली ने 1994 के उत्तराखंड आंदोलन की यादें ताजा कर दीं और संकेत दिया कि राज्य में एक बार फिर से बड़े स्तर पर जनआंदोलन की शुरुआत हो चुकी है।