Somvati Amavasya 2024: श्रद्धालुओं की भव्य गंगा स्नान मेला
Somvati Amavasya 2024: हरिद्वार में गंगा स्नान को उमड़ा आस्था का सैलाब, जानिए क्या है सोमवती अमावस्या का महत्व -Newsnetra
Somvati Amavasya 2024 : सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान का अनुभव एक अद्भुत और आध्यात्मिक अनुभव है। भक्तिभाव से इस मेले का आनंद लें और भगवान की कृपा का आभास करें। इस अद्वितीय पर्व की शुभकामनाएं!
साल के पहले सोमवती अमावस्या स्नान को लेकर विभिन्न राज्यों के श्रद्धालुओं के हरिद्वार पहुंचने का सिलसिला जारी है। इसे वीकेंड का असर भी माना जा रहा है। आधी रात से ही श्रद्धालुओं की भीड़ हरकी पैड़ी और हरिद्वार के अन्य घाटों पर देखी जा रही है। तड़के चार बजे से ही लोग गंगा में डुबकी लगाते नजर आ रहे है।
विशेषत:
गंगा मेले के रूप में मनाया जाता है, जहां लाखों लोग समाज के विभिन्न वर्गों से आकर्षित होते हैं।
भक्तों का उत्साह :
इस वर्ष भी, सोमवती अमावस्या के मौके पर भक्तों की भीड़ ने हरिद्वार की धारावाहिक गलियों को धावा बोला। उनकी श्रद्धा और उत्साह ने शहर को प्रवाहित किया।
तिथि और समय:
सोमवती अमावस्या का महत्वपूर्ण स्नान अब तक चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या के दिन माना जाता है। इस बार, तिथि आठ अप्रैल की सुबह तीन बजकर 31 मिनट पर शुरू हुई और इसका समापन मध्य रात्रि 11 बजकर 50 मिनट पर होगा।
परंपरागत महत्व:
सोमवती अमावस्या पर गंगा समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन को विशेष महत्व दिया जाता है और लोग इसे ध्यान में रखते हुए उसकी शुभता को मानते हैं।
सुरक्षा का इंतजाम:
पुलिस-प्रशासन ने भक्तों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से इंतजाम किया है। मेला क्षेत्र को 5 सुपर जोन,16 जोन और 39 सेक्टर में बांट कर अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
धार्मिक महत्व:
सोमवती अमावस्या के दिन का गंगा स्नान लोगों के लिए धार्मिक और मानसिक शुद्धि का एक अद्वितीय अवसर है। इस दिन का उपवास, पूजा, और ध्यान करने से लोग अपनी आत्मा को शांति और संतोष के साथ महसूस करते हैं।
विस्तार से पढ़ाए:
सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान का अनुभव एक अद्भुत और आध्यात्मिक अनुभव है। भक्तिभाव से इस मेले का आनंद लें और भगवान की कृपा का आभास करें। इस अद्वितीय पर्व की शुभकामनाएं!
सोमवती अमावस्या के अवसर पर हरिद्वार की हर की पौड़ी पर बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे हैं। उन्होंने यहां गंगा नदी में पवित्र डुबकी लगाई। साल के पहले सोमवती अमावस्या स्नान को लेकर विभिन्न राज्यों के श्रद्धालुओं के हरिद्वार पहुंचने का सिलसिला जारी है। इसे वीकेंड का असर भी माना जा रहा है। आधी रात से ही श्रद्धालुओं की भीड़ हरकी पैड़ी और हरिद्वार के अन्य घाटों पर देखी जा रही है। तड़के चार बजे से ही लोग गंगा में डुबकी लगाते नजर आ रहे है।मिली जानकारी के अनुसार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि आठ अप्रैल की सुबह तीन बजकर 31 मिनट पर शुरू हो गया है और इस तिथि का समापन इसी दिन मध्य रात्रि 11 बजकर 50 मिनट पर होगा। ऐसे में रविवार भोर से ही हरकी पैड़ी के सभी गंगा घाट श्रद्धालुओं से खचाखच भरे नजर आए। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश से अभी तक दो लाख से अधिक श्रद्धालु हरिद्वार पहुंच चुके हैं। आज यह आंकड़ा और बढ़ेगा।मान्यता है कि सोमवती अमावस्या पर गंगा समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते है। हरिद्वार में कल रविवार रात से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगनी शुरू हो गई थी। सुबह तक हरकी पैड़ी पर पैर रखने की जगह तक नहीं थी। सोमवती अमावस्या के स्नान पर्व का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है कि इस अवसर पर मां गंगा में स्नान करने से सभी कष्ट दूर होते है, मनोकामनाए पूरी होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सोमवती अमावस्या पर पितरों के निमित्त पूजा करने से जीवन मे सुख और शांति आती है।गौरतलब है कि सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। आज के दिन हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान कर जो व्यक्ति अपने पुरोहितों और ब्राह्मणों को दान इत्यादि करता है, वह उसके पितरों को तो प्राप्त होता ही है, साथ ही उसको भी उसका कई गुना फल मिलता है। यदि कोई आज के दिन गंगा स्नान करने आ नहीं सकता तो वह घर पर ही गंगा जी का ध्यान कर स्नान करें, तो उसे भी वही फल प्राप्त होता है,
जो गंगा स्नान करके प्राप्त होता है।वहीं सोमवती अमावस्या पर श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर रखे है। मेला क्षेत्र को 5 सुपर जोन,16 जोन और 39 सेक्टर में बांट कर अधिकारियो और पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान करने के लिए हरकी पैड़ी पहुंचे श्रद्धालुओं का कहना है कि आज के दिन गंगा स्नान करने से परिवार में सुख सृमृद्धि तो आती है, साथ ही सभी मनोकामना भी पूर्ण होती है. इसके अलावा पितरों की आत्मा भी तृप्त होती हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।