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महिला आरक्षण विधेयक 2023 क्या है?
संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023 लोकसभा और राज्यसभा से सर्वसम्मति से पारित हो गया है। विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए कुल सीटों में से एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है।
विधेयक की मुख्य बातें
संविधान (एक सौ आठवां संशोधन) विधेयक, 2008 लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सभी सीटों में से एक तिहाई आरक्षित करने का प्रावधान करता है। आरक्षित सीटों का आवंटन संसद द्वारा निर्धारित प्राधिकारी द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों की कुल संख्या का एक तिहाई उन समूहों की महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाएगा।
आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन द्वारा आवंटित की जा सकती हैं।
इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के 15 वर्ष बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा।
इस विधेयक की पृष्ठभूमि और आवश्यकता क्या है?
पृष्ठभूमि:
महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा 1996 में पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल से ही प्रचलित है।
चूंकि तत्कालीन सरकार के पास बहुमत नहीं था, इसलिए विधेयक को मंजूरी नहीं मिल सकी।
महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने के पहले प्रयास:
1996: पहला महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश किया गया।
1998 – 2003: सरकार ने 4 मौकों पर विधेयक पेश किया लेकिन असफल रही।
2009: विरोध के बीच सरकार ने विधेयक पेश किया।
2010: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विधेयक पारित किया और राज्यसभा ने इसे पारित किया।
2014: विधेयक को लोकसभा में पेश किए जाने की उम्मीद थी।
ज़रूरत:
लोकसभा में 82 महिला सांसद (15.2%) और राज्यसभा में 31 महिलाएं (13%) हैं।
जबकि पहली लोकसभा (5%) के बाद से यह संख्या काफी बढ़ी है लेकिन कई देशों की तुलना में अभी भी काफी कम है।
हाल के संयुक्त राष्ट्र महिला आंकड़ों के अनुसार, रवांडा (61%), क्यूबा (53%), निकारागुआ (52%) महिला प्रतिनिधित्व में शीर्ष तीन देश हैं। महिला प्रतिनिधित्व के मामले में बांग्लादेश (21%) और पाकिस्तान (20%) भी भारत से आगे हैं।