उत्तराखंड की विलुप्त होती लोक विधाओं के संरक्षण के संकल्प के साथ 17 सितम्बर को मनाया जाएगा ‘जागर संरक्षण दिवस’- Newsnetra
उत्तराखंड अपनी अनूठी लोक कला और संस्कृति के लिए जाना जाता है। राज्य की कुछ लोक विधाओं ने तो देश और दुनिया में अपनी खास पहचान भी बना ली है।
सामाजिक संस्था “डांडी-कांठी क्लब” लगातार लोककला और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को बढ़ावा देने में जुटी है। मध्य हिमालयी संस्कृति के सरोकारों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए समर्पित सामाजिक संस्था “डांडी-कांठी क्लब” विगत वर्षो की भांति इस वर्ष भी पांरगत कलावंतों के सम्मान में (जागर, पवाड़े, लोकगीतों, लोकवाद्यों एवं विलुप्त होती विधाओं को संरक्षित करने के संकल्प के साथ) 17 सिंतबर 2024 को (लोकविधा) “जागर संरक्षण दिवस” मनाने जा रहा है। जिसमें प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से अलग-अलग विधाओं में 10 पांरगत श्रेष्ठ विभूतियों को “राज्य वाद्य यंत्र सम्मान-2024” और अपने पद क्षेत्र में विशिष्ट योगदान दे रहे 5 अधिकारियों को “डांड़ी कांठी रत्न-2024” से सम्मानित किया जाएगा। इस अवसर पर प्रदेश के साहित्यविद, संस्कृति प्रेमी, विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधिगण एवं प्रदेश की लोक संस्कृति के ध्वज वाहक भारी संख्या में शामिल होगें।
डांड़ी कांठी क्लब द्वारा समय-समय पर अपनी संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए खेल प्रतियोगितायें, लोक महोत्सव एवम् विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से संस्कृति को संजोये रखने के लिए संकल्परत है। उत्तराखण्ड के प्रकांड ढोल सागर, देवसार, पैंसारा, थाती योग के महान जान गुरूओं के सम्मान के साथ सातवीं बार उत्तराखंड की राजधानी द्रोणनगरी देहरादून में अद्वितीय अनुष्ठान के साथ (लोकविधा) ‘‘जागर संरक्षण दिवस’’ मनाया जा रहा है।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड संस्कृति के विभिन्न विधाओं के पारंगत कलावंतों द्वारा प्रस्तुतियां भी दी जायेंगी। (लोकविधा) ‘‘जागर संरक्षण दिवस’’ 17 सितम्बर 2016 में शुरू किया गया था।
प्रेस वार्ता में क्लब अध्यक्ष विजय भूषण उनियाल, सचिव कृष्णानंद भट्ट, प्रकाश बडोनी, प्रीतम सिंह रावत, मंच उद्धघोषक सुनील सजवाण, दिनेश शर्मा, डा0 राकेश काला, मीडिया प्रभारी सुदर्शन सिंह कैन्तुरा, सरोप रावत, विनोद असवाल, विजय बहुखण्डी सहित क्लब परिवार के पदाधिकारी एवं कई गणमान्य सदस्य उपस्थित थे।