आज दिनांक 18-अक्टूबर को उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी बब्बर गुरुंग (87) के निधन पर शोक व्यक्त कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
1971 युद्ध के योद्धा व वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी एवं नेपाली भाषा के अगुआ रहें दिवंगत बब्बर गुरुंग की शव यात्रा मेँ राज्य आंदोलनकारी , पूर्व सेनिक , गोर्खाली सुधार सभा , उक्रांद , नेपाली भाषा संगठन के साथ ही कई समाजसेवी व सूचना आयुक्त अन्तिम यात्रा मेँ शामिल हुये। वह 1971 के भारत पाक युद्ध मेँ उनकी टांग मेँ तीन गोलियां लगी थी जिस कारण उनको झुककर चलना पड़ता था।
सुबह 10-30 बजे उनके आवास गढ़ीं केन्ट शैरबाग से अन्तिम संस्कार हेतु गढ़ी टप्केश्वर घाट पर सेन्य सम्मान के साथ अन्तिम संस्कार सम्पन्न हुआ।
घाट पर गौरव सैनानी संगठन , गोर्खाली सुधार सभा , पूर्व सैनिकों एवं समाज के कई लोगो द्वारा पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। अन्त मेँ सेना द्वारा शास्त्रों के साथ मातमी धुन बजाकर उन्हें अन्तिम सलामी दी।
उनके पुत्र विनय द्वारा मुखाग्नि दी गई। उनके पुत्र सेना से रिटायर हैं जबकि पुत्री पुणे मेँ कार्यरत हैं।
आज प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह व केशव उनियाल ने दुख जताते हुये कहा कि एक सरल स्वभाव के कर्मठ आंदोलनकारी साथी हमारा साथ छोड़ गये। पूर्व विधायक व सयुंक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष रणजीत सिंह वर्मा जी द्वारा उन्हें संघर्ष समिति मेँ महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी थी औऱ वह हमेशा बड़ी ईमानदारी से सबको लामबंद कर ONGC , KDMIP व FRI के साथ भू सर्वेक्षण विभाग एवं मृदा संरक्षण कार्यालयों मेँ तालाबंदी करना या धरना देने के साथ ही भूख हड़ताल मेँ शामिल रहें।
प्रदेश महामन्त्री रामलाल खंडूड़ी व प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती के साथ ही अनुज नौटियाल ने बताया कि बब्बर गुरुंग बहुत सरल स्वभाव के व्यक्तित्व थे। उन्होंने दिल्ली मेँ दिवंगत चंद्रमणि नौटियाल जी व दलीप धामी औऱ रामप्रसाद थपलियाल के साथ जन्तर मंतर पर 29-दिनों तक भूख हड़ताल की थी। राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा पिछले दिनों उनके आवास पर जाकर उन्हें शाल ओढ़ाकर गौरव सैनानी सम्मान से सम्मानित किया था। पृथक राज्य आन्दोलन के लियॆ वह प्रत्येक संघर्ष मेँ हमेशा आगे रहें।
प्रदीप कुकरेती बताते हैं कि जब जिला प्रशासन द्वारा चिन्हीकरण प्रक्रिया चली तों उनका काफी दिनों तक भी चिन्हित ही नहीं हुये यह गढ़ी उनके आवास पर एक मुलाकात मेँ पता चला तों पुनः प्रदीप कुकरेती द्वारा स्वयं उनका प्रार्थना पत्र लिखा औऱ अखबारों की कटिंग को संलग्न किया तब उनका नाम सूची मेँ अंकित हुआ।
जनकवि डा॰ अतुल शर्मा व ओमी उनियाल व रामपाल ने बताया कि वह हमेशा प्रत्येक बैठक मेँ मौजूद होते थे औऱ जनजागरण औऱ गोष्ठियों के लियॆ भ्रमण करना चक्का जाम की जिम्मेदारी निभाना , जेल गये लोगो के लियॆ भोजन व फल इत्यादि पहुंचाने हेतु तत्पर रहते थे।
शोक व्यक्त करने मेँ मुख्यतः जगमोहन सिंह नेगी , सूचना आयुक्त योगेश भट्ट , केशव उनियाल , प्रदीप कुकरेती , अनुज नौटियाल , विरेन्द्र पोखरियाल , संजय थापा , जितेन्द्र अन्थवाल , मोहन खत्री , नेपाली भाषा संगठन के अध्यक्ष मधुसूदन थापा , कार्यकारी अध्यक्ष राजेन्द्र मल्ल , महासचिव श्याम सिंह राणा , गोर्खाली सुधार सभा के पदम् सिंह थापा , राजन क्षेत्री वरिष्ठ उपाध्यक्ष , संतन सिंह रावत , जबर सिंह पावेल , ललित जोशी , मनोज नौटियाल , अजय कंडारी , विजय बलूनी , रघुवीर तोमर , ध्यान सिंह बिष्ट , धर्मानन्द भट्ट , मोहन खत्री , सुरेश नेगी , संजय तिवारी , विकास रावत , राजेन्द्र सिंह बिष्ट , आशीष नेगी , राजा भट्ट , विनोद असवाल , बीर सिंह रावत , प्रभात डण्डरियाल , प्रेम सिंह नेगी , हरी सिंह मेहर , पुष्पलता सिलमाणा , सुलोचना भट्ट , अरुणा थपलियाल , रामेश्वरी नेगी , सुबोधिनि भट्ट , सर्वेश्वरी सुन्दरियाल , संगीता रावत आदि।
कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना , गोदावरी थापली , उक्रांद की ओर से सुनील ध्यानी , विजेन्द्र रावत , प्रमिला रावत , समीर मुण्डेपी , मीनाक्षी घिल्डियाल भी रहें।
सरकार व प्रशासन की ओर कोई भी नुमाईन्दा नहीं पहुंचने पर उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच ने नाराजगी प्रकट की।