केदारनाथ उपचुनाव में हरक सिंह रावत की तीखी बयानबाजी, ईडी जांच और धामी पर साधा निशाना-Newsnetra
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होना है। इस चुनाव के मद्देनजर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बड़े नेता चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं, और एक-दूसरे पर तीखे बयान भी दे रहे हैं। इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का बयान काफी चर्चा में है, जिसमें उन्होंने ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) जांच और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर टिप्पणी की है।
हरक सिंह रावत की ईडी जांच पर टिप्पणी
कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत के चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे हरक सिंह रावत ने रुद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि में एक जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान, जब पत्रकारों ने उनके खिलाफ चल रही ईडी जांच के बारे में सवाल किया, तो हरक सिंह ने मजाकिया लहजे में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि ईडी उनके निमंत्रण पर उनके घर आई थी और उन्होंने ईडी अधिकारियों से मजाक में कहा, “हुजूर, बड़ी देर कर दी तुमने आते-आते। मैं तो छह महीने से इंतजार कर रहा था।” उन्होंने आगे कहा कि ईडी वालों ने जब उनसे सामान के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि “ढूंढो, तुम्हारा काम है ढूंढ़ना।”
हरक सिंह रावत ने इस बयान के माध्यम से जांच एजेंसी पर तंज कसा और कहा कि उन्हें क्यों बताना चाहिए कि सामान कहां रखा है। उन्होंने ईडी की कार्यप्रणाली पर भी व्यंग्य किया, जिससे उनके समर्थकों में हंसी का माहौल बना।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर तीखी टिप्पणी
हरक सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लेकर भी एक तीखा बयान दिया। उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री बनने से पहले पुष्कर सिंह धामी उनके घर के बाहर रात के दो-दो बजे तक खड़े रहते थे। धामी के लिए उन्होंने कहा, “वह मेरा छोटा भाई है, उसके बारे में मत पूछो।” हरक सिंह ने दावा किया कि उन्होंने धामी को राजनीति में आगे बढ़ने में मदद की थी। यह बयान काफी चर्चा में है, क्योंकि अब वही पुष्कर सिंह धामी राज्य के मुख्यमंत्री हैं, और हरक सिंह रावत खुद चुनावी राजनीति से बाहर हो गए हैं।
केदारनाथ सीट पर दावेदारी और चुनावी समीकरण
केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव में टिकट न मिलने पर हरक सिंह रावत ने कहा कि वे सुर्खियों में रहना पसंद करते हैं, लेकिन इस सीट पर उनकी कोई दावेदारी नहीं है। कांग्रेस की पदयात्रा के दौरान केदारनाथ क्षेत्र में जाने के बाद कुछ समर्थकों ने इसे उनकी दावेदारी मान लिया था। हरक सिंह ने यह भी कहा कि राजनीति में चर्चे, पर्चे और खर्चे होते रहते हैं, और साल 1990 से वे केदारघाटी की जनता के साथ जुड़े हुए हैं। उन्होंने दावा किया कि आगामी उपचुनाव में केदारघाटी की जनता कांग्रेस प्रत्याशी पर विश्वास जताएगी।
हरक सिंह के बयानों पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
हरक सिंह रावत के इन बयानों पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आई हैं। उनके आलोचक मानते हैं कि इस प्रकार की बयानबाजी उनके राजनीतिक करियर को नुकसान पहुंचा सकती है। बीजेपी के समर्थकों ने हरक सिंह रावत के इन बयानों पर तंज कसते हुए कहा कि जिस गर्व से वे ईडी जांच की बात कर रहे हैं, वह उनके लिए ही गर्व की बात हो सकती है, कोई और होता तो घर से बाहर भी नहीं निकलता। इसके अलावा, पुष्कर सिंह धामी को लेकर किए गए बयान को लेकर भी बीजेपी समर्थकों ने हरक सिंह पर कटाक्ष किया है।
बीजेपी के एक नेता ने कहा कि वक्त बदलते देर नहीं लगती। जो पुष्कर सिंह धामी कभी उनके दरवाजे के बाहर खड़ा रहता था, आज वह प्रदेश का मुख्यमंत्री बन गया है और हरक सिंह रावत चुनावी राजनीति से बाहर हैं। गढ़वाल क्षेत्र में हरक सिंह रावत की राजनीति का दबदबा कम होता जा रहा है और उनकी जगह पर अब गणेश गोदियाल जैसे नेताओं का प्रभाव बढ़ रहा है।
निष्कर्ष
केदारनाथ उपचुनाव में हरक सिंह रावत के बयानबाजी का असर चुनावी समीकरणों पर क्या पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। हालांकि, उनके बयान न केवल चुनाव प्रचार का माहौल गर्म कर रहे हैं बल्कि विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच तनाव भी बढ़ा रहे हैं।