उत्तरकाशी के ग्रामीणों की जान जोखिम में: सुपिन नदी को पेड़ के तने से पार करने को मजबूर-Newsnetra
रिपोर्ट – दीपक नौटियाल/ उत्तरकाशी
विकास की तीन तस्वीरें
1-लोक निर्माण विभाग की ट्रोली बन्द होने से जान जोखिम में डालकर लकड़ी के सहारे नदी पार करने को मजबूर हैं ग्रामीण
2-मोरी के फैताडी गांव में रस्सी के सहारे गांव पहुंच रहे हैं ग्रामीण
3-भारी परेशानियों नदी नालों को पर कर अपने कर्तव्य को पूरा करती ए एन एम एवं आशा
जनपद उत्तरकाशी के मोरी विकासखंड के लिवाड़ी गांव में लोक निर्माण विभाग की ट्राली बंद होने के कारण ग्रामीण जान जोखिम में डालकर सुपीन नदी को पेड़ के तने के सहारे पार कर रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि पुल और ट्राली नहीं होने के कारण राशन गांव में पहुंचाने में सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है ग्रामीण एक एक किलो समान गांव तक पहुंचाने के लिए जंग लड रहे हैं
लिवाड़ी गांव के लिए कासला से सुपिन नदी पर लोक निर्माण विभाग की ओर से ट्राली लगाई गई थी, लेकिन वह ट्राली इन दिनों बंद पड़ी हुई है। लिवाड़ी गांव ग्रामीणों ने बताया कि पहले सुपिन नदी पर ग्रामीणों ने एक पुल बनाया था। नदी के तेज बहाव के कारण वह गया था।
वहीं उसके बाद लोक निर्माण विभाग ने वहां पर एक ट्राली लगाई, लेकिन वह भी कुछ समय तक चली, उसके बाद वह भी बंद हो गई। कभी अगर विभाग को याद आती है तो मात्र 10 से पांच बजे तक चलाते हैं। उसके बाद बंद कर दी जाती है।
अब ग्रामीण पेड़ के तने का पुल बनाकर आवाजाही कर रहे हैं। नदी को पार करते समय हल्का भी पैर फिसला तो सीधे नदी के तेज बहाव में बहने का खतरा बना रहता है ऐसे में जब गांव में राशन पहूंचाना ही मुश्किल हो रहा है तो खुदा न खालसा अगर कोई बिमार पड़ गया तो उसका तो भगवान ही मालिक है कहीं न कहीं धामी सरकार के नुमाइंदों हवा में न देख कर जमीन पर काम करने की जरूरत है
वहीं दूसरी तस्वीर भी मोरी विकास खंड के फैताडी गांव की है जहां ग्रामीण ओबरा नदी को रस्सी के सहारे पार करते हुए अपने गांव जाने को विवस है आप देख सकते हैं कि नदी के किनारे बना पैदल रास्ता बह गया है ओर ग्रामीण रस्सी के सहारे जान जोखिम में डालकर खड़ी चट्टान को चढ़कर अपने गांव जाने का प्रयास कर रहे हैं अगर जरा सी भी चूक हुई तो जिन्दगी खत्म
तीसरी तस्वीर भी मोरी ब्लोक की है जहां प्रभारी चिकित्सा अधिकारी मोरी के निर्देशों का पालन करते हुए गर्भवती महिलाओं एवं शिशुओं के 100%लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए अति दुर्गम लिवाडी एवं फिताडी में आयोजित होने वाले शिविर के लिए विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए भी ए एन एम एवं आशा फैसीलेटर ने टीकाकरण कर अपनी जिम्मेदारियों का अहसास कराया