महात्मा गांधी की 155वीं जयंती पर राजघाट में श्रद्धांजलि दी गई -Newsnetra
देश आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 155वीं जयंती मना रहा है, जिनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। महात्मा गांधी का योगदान भारत की आजादी में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। उनका ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसक संघर्ष आज भी भारतीय इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में दर्ज है।
महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर राजघाट का उल्लेख महत्वपूर्ण है। हालांकि, यह नाम दिल्ली में गांधी की समाधि से जुड़ा है, लेकिन मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में भी एक अन्य राजघाट स्थित है। यह स्थल महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी और स्वतंत्रता सेनानी महादेव देसाई की अस्थियों से जुड़ा है। बड़वानी का यह राजघाट जिला मुख्यालय से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और वर्तमान में यह क्षेत्र सरदार सरोवर बांध के पानी में जलमग्न हो चुका है।
1964 में, टलवई के स्वतंत्रता सेनानी काशीनाथ द्विवेदी द्वारा इन तीनों की अस्थियां नर्मदा के किनारे लाईं गईं थीं, जिसके बाद इस क्षेत्र को ‘राजघाट’ नाम दिया गया। 27 जुलाई 2017 को सरदार सरोवर बांध की जलधारा में डूबने के बाद इन अस्थियों को सुरक्षित रूप से कुकरा नामक स्थल पर स्थानांतरित किया गया। बड़वानी का राजघाट महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी और उनके सचिव महादेव देसाई की अस्थियों का एकमात्र सामूहिक स्थल है, जबकि अन्य स्थानों पर ये अस्थियां अलग-अलग रूप में संरक्षित हैं, जैसे कि पुणे के आगा खां महल में।
राजघाट का यह समाधि स्थल न केवल गांधी परिवार और उनके अनन्य सेवक को समर्पित है, बल्कि यह सत्य, प्रेम और करुणा की प्रेरणा का प्रतीक भी है। इस स्थल पर एक शिलालेख मौजूद है, जिसमें समाधि से जुड़े तिथियों के ब्यौरे के साथ एक सूक्ति भी लिखी गई है, जो हमें महात्मा गांधी के आदर्शों की याद दिलाती है।
यह स्थल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को संजोए हुए है और इसे महात्मा गांधी की स्मृतियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है।