उत्तराखंड में चिकित्सा सेवा का एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ (पीएमएचएस) ने घोषणा की है कि प्रदेशभर के डॉक्टर चार अक्तूबर से कार्य बहिष्कार करेंगे। यह निर्णय उनकी लंबित मांगों के संदर्भ में लिया गया है। बुधवार को, डॉक्टरों ने सरकारी अस्पतालों में काली पट्टी बांधकर अपना विरोध प्रदर्शित किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि वे अपनी चिंताओं को लेकर गंभीर हैं।
आंदोलन का कारण
इस आंदोलन की शुरुआत संघ द्वारा उठाए गए मुद्दों के समाधान न होने की स्थिति में हुई है। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि मांगों का समाधान नहीं होता है, तो आंदोलन चरणबद्ध तरीके से जारी रहेगा। काली पट्टी पहनकर काम करने का यह प्रतीकात्मक कदम दर्शाता है कि डॉक्टर अपने अधिकारों के लिए खड़े हैं।
डॉक्टरों के इस विरोध को देखते हुए, राज्य सरकार ने संघ के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाया। डॉ. मनोज शर्मा, जो संघ के प्रदेश अध्यक्ष हैं, के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने अपर सचिव स्वास्थ्य अनुराधा पाल के साथ बैठक की। इस बैठक में मांगों पर चर्चा हुई और सरकार ने आश्वासन दिया कि अगले सप्ताह सचिवालय में लंबित मांगों पर एक बैठक आयोजित की जाएगी।
मुख्य मांगें
पीएमएचएस की प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं:
- डीपीसी और एसडीएसीपी के आदेश: संघ चाहता है कि विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) और राज्य स्तरीय विभागीय समिति (एसडीएसीपी) के आदेश शीघ्र जारी किए जाएं।
- विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए प्रोत्साहन राशि: पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात सभी विशेषज्ञ डॉक्टरों को राजकीय मेडिकल कॉलेजों के समकक्ष 50 प्रतिशत प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाए।
- दुर्गम क्षेत्रों की पहचान: अल्मोड़ा, नैनीताल, टिहरी और मसूरी जैसे जिलों को दुर्गम क्षेत्रों के रूप में फिर से मान्यता दी जाए।
- पीजी कर रहे डॉक्टरों का वेतन: पोस्टग्रेजुएट कर रहे डॉक्टरों को उनकी पढ़ाई के दौरान पूरा वेतन दिया जाए।
- दंत चिकित्सकों का समायोजन: संघ ने दंत चिकित्सकों के समायोजन की भी मांग की है।
आगे की योजना
संघ ने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगों का समाधान नहीं होता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। यदि वार्ताओं में कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिलता है, तो चार अक्तूबर से कार्य बहिष्कार लागू होगा। तब तक डॉक्टरों का सांकेतिक विरोध जारी रहेगा।
इस चर्चा में संघ के उपाध्यक्ष डॉ. तुहिन कुमार, डॉ. प्रियंका सिंह, और देहरादून जिला अध्यक्ष डॉ. बिमलेश जोशी भी शामिल थे, जिन्होंने आंदोलन को मजबूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।