ममता कुलकर्णी को महाकुंभ में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनाने का विवाद: एक नया मोड़-Newsnetra
24 जनवरी को एक महत्वपूर्ण घटना घटी, जब किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर के पद पर बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी को नियुक्त किया गया। यह फैसला महाकुंभ के दौरान हुआ, और इसे लेकर कई साधु-संतों में गहरी आपत्ति देखने को मिली। विशेष रूप से लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी द्वारा लिया गया यह फैसला किन्नर अखाड़े में विवाद का कारण बन गया।


लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, जिन्होंने किन्नर अखाड़े के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, के इस फैसले ने किन्नर समुदाय में फूट डाल दी। नतीजतन, किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने इस कदम का विरोध किया और ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर के पद से हटा दिया। हालांकि, उनके आदेश को अखाड़े के कई सदस्य मानने को तैयार नहीं हैं, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है।
ऋषि अजय दास का विरोध और विवाद की जड़ें
ऋषि अजय दास ने अपने बयान में कहा कि ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े में लाने वाली लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी अब आचार्य महामंडलेश्वर पद से मुक्त कर दिया गया है। उनका कहना था कि लक्ष्मी ने किन्नर समाज के उत्थान और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से किन्नर अखाड़े में कदम रखा था, लेकिन अब वह इस दिशा से भटक चुकी हैं।
अजय दास ने यह भी आरोप लगाया कि लक्ष्मी ने बिना किसी धार्मिक परंपरा का पालन किए ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर का पद दिया, जो कि पहले से ही विवादों में घिरी एक बॉलीवुड अभिनेत्री थीं। ममता के खिलाफ देशद्रोह के आरोप भी लगाए गए थे, और ऐसे व्यक्ति को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाना धार्मिक और अखाड़े की परंपराओं से मेल नहीं खाता था, यह अजय दास का कहना था।
किन्नर अखाड़े में आंतरिक संघर्ष और भविष्य की दिशा
किन्नर अखाड़े के भीतर इस फैसले को लेकर गहरा मतभेद सामने आया है। एक ओर जहां ऋषि अजय दास का कहना है कि जल्द ही नए आचार्य महामंडलेश्वर का ऐलान किया जाएगा, वहीं दूसरी ओर, लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का पक्ष भी मजबूत है। कुछ सदस्य अब भी ममता कुलकर्णी की नियुक्ति को सही ठहराते हैं और उनके खिलाफ उठाए गए कदम का विरोध कर रहे हैं।
इस विवाद ने किन्नर अखाड़े के भीतर आंतरिक संघर्ष को उजागर किया है और यह सवाल खड़ा किया है कि क्या इस तरह के फैसले धर्म और परंपराओं के अनुसार सही होते हैं। यह विवाद यह भी बताता है कि धार्मिक संस्थाओं में बाहरी हस्तक्षेप और व्यक्तिगत स्वार्थ कभी-कभी उनके मूल उद्देश्य से भटक सकते हैं, जिससे मतभेद और विवाद पैदा होते हैं।
ममता कुलकर्णी की किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर के पद पर नियुक्ति का विवाद एक नई दिशा में बढ़ रहा है। इस फैसले ने किन्नर समाज के भीतर और धार्मिक समुदाय में उथल-पुथल मचाई है। आगे चलकर यह देखना दिलचस्प होगा कि किन्नर अखाड़े में इस विवाद का क्या हल निकलता है और क्या यह संगठन अपनी परंपराओं और उद्देश्य के प्रति सच्चा रहेगा, या फिर व्यक्तिगत स्वार्थ और बाहरी प्रभावों के चलते यह और अधिक जटिल हो जाएगा।