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बुरी खबर है। इतिहासकार, साहित्यकार डॉक्टर डॉक्टर रणवीर सिंह चैाहान नहीं रहे। उनके निधन की खबर से साहित्य जगत शोक में डूब गया है। चैहान हमारे बीच ज्ञान का खजाना छोड़ गये हैं।
वर्तमान में अपने बेटे शिक्षक आशीष चैाहान के साथ देवी नगर कोटद्वार में रहते थे। उनके बेटे आशीष चैाहान ने बताया कि वह दो दिन से थोड़ा अस्वस्थ थे इससे पूर्व वह रोज लेखन कार्य करते रहते थे। साहित्य साधक चैाहान ने भौतिक दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके पार्थिव शव का हरिद्वार में अंतिम संस्कार किया गया।
डॉक्टर रणवीर सिंह चैाहान कोटद्वार में साहित्य जगत में बहुत सक्रियता रहती थी उनके जाने से कोटद्वार में साहित्य जगत में अपूर्णीय क्षति हुई हैं। समाजिक कार्यकर्ता ग्रामीण पत्रकार जगमोहन डांगी बतातें कि उनकी डांगी का इतिहास पर सात सो वर्ष पूर्व डांगी गांव की स्थापना पर एक पुस्तक वंशावली भाग दो पर तैयारी चल रही थी जून में गांव के सात सौ साल होने पर हमारी संस्कृति हमारी विरासत कार्यक्रम होना था।
डॉक्टर रणवीर सिंह चैाहान एक जमाने में नजीबाद और लखनऊ आकाशवाणी केंद्रों से कई एकांकी नाटक सुनने को मिलते थे। उन्होंने लगभग 40 से ज्यादा पुस्तकंे लिखी है। यहां तक की उन्होंने बहुत गीत लिखे जो विभिन्न लोक गायकों ने गाए हंत्या पुजै और जनरल बकरा जैसी उनका चर्चित नाटकों में एक है। उन्होंने बचपन में लैंसडाउन में जनरल बकरा स्वयं अपने आंखों से दिखा है।