कृष्ण के प्रेम का चढा ऐसा रंग लडकी ने रचाया भगवान कृष्ण से विवाह-Newsnetra
कहते हैं अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने में लग जाती है…पर हल्द्वानी की हर्षिका की कहानी थोड़ी अलग है…यहां उसे प्यार भी हुआ तो सृष्टि के पालनहार से..और हां आज उसकी शादी भी उसी पालनहार से है…आप भी जरूर जाना इस अभिन्न प्यार के सात फेरों का दीदार की परिभाषा को करीब से देखने समझने का मौका मिल जाए…
हम बात कर रहे हैं हल्द्वानी के प्रेमपुर लोश्ज्ञानी से सटे इंद्रप्रस्थ कॉलोनी निवासी पूरन चंद्र पंत की 21 वर्षीय पुत्री हर्षिका की, बचपन से दिव्यांग इस लडकी के चेहरे की कांति देखते ही बनती है, उसके शरीर का निचला हिस्सा काम नहीं करता, अपने दैनिक कार्यों के लिए भी उसे दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है लेकिन यकीन मानिए एक बार आप उसका दमकता चेहरा देख लेंगे तो आपके सारे तनाव गायब हो जाएंगे। भगवान श्री कृष्ण को दिल से अपना सर्वस्व मान चुकी यह युवती वृंदावन से लाई गई श्री कृष्ण की प्रतिमा के साथ सात जन्मों तक साथ रहने की कसमें और वादों के साथ अपनी मांग में कान्हा के नाम का सिंदूर धारण करेगी।



बुधवार को मोहल्ले में डीजे बज रहा था महिलाएं ढोलक की थाप पर मंगल गीत गा रही थीं जमकर नाच-गाने के साथ पकवान बन रहे थे, एक तरफ मेहंदी की तैयारियां चल रहीं थीं तो यह युवती अपने प्रभु से मिलन की आस में बैठी थी। उसे उससे मिलन की आस है जिसे वह पिछले 15 वर्षों से अपने ह्रदय में संजोए बैठी है। खैर आज शादी है पर वो विदा होकर अपने ससुराल (वृंदावन) नहीं जाएगी बल्कि घर वाले भगवान श्री कृष्ण को घर जमाई बनाने जा रहे हैं।
बंद कमरे में करती है अपने कान्हा से बात, राधा को बोलती है सौतन
हर्षिका की माता मीनाक्षी पंत बताती हैं, बचपन से ही हर्षिका में भगवान श्री कृष्ण को लेकर प्रेमभाव है, वह बंद कमरे में मूर्ति के साथ बात करती है,रोती है हंसती है और पूछने पर टालमटोल कर जाती है। मगर उसे एक ही चीज ना गवार गुजरती है और वो है श्रीकृष्ण के साथ राधा का नाम। जब कोई राधा का नाम श्री कृष्ण का नाम साथ लेता है तो वह क्रोधित हो जाती हैं। उसने अपनी शादी के लिए वृदांवन जाकर पूरी खरीदारी की, यहां से श्री कृष्ण के श्रृंगार के सामान के साथ अपने श्रृंगार का सामान भी खरीदा।
आज कॉलोनी में निकलेगी भव्य बारात, पिता करेंगे भगवान को कन्यादान
लड़की के पिता पूरन को पैरालायसिस है। 2020 में कोरोना काल में अटैक पड़ा तो जान तो बच गई पर अपनी निशानी छोड़ गया। आज एक पिता अपनी बेटी का कन्यादान करेगा, भाई बहन को डोली पर बैठाएगा और पूरा मोहल्ला बारात लेकर घर पहुंचेगा, नाते-रिश्तेदार, पड़ोसी इस अनोखे प्यार की वरमाला देखने को उत्सुक हैं। एक साधारण सी शादी होते हुए भी यह एक असाधारण बन चुकी है जिसकी चर्चा हर जुबान पर है।
बोले पंडित जी…ये प्रेम है, समर्पण है, शादी ऐतिहासिक होगी
इस कलयुग में प्रेम, समर्पण, त्याग, बलिदान जैसी बातें किताबें हो चलीं हैं पर इस खास शादी को कराने का मौका मिल रहा है तो अपने को धन्य समझ रहा हूं और यकीन हो गया कि आज भी प्रेम की कोई सीमा नहीं। यह कहना है पंडित चंद्र शेखर तिवारी का जो इस शादी को अपने सहयोगी पंडित मनोज जोशी के साथ पूर्ण कराएंगे। उनका मानना है कि ईश्वर ने उन्हें इस कार्य के लिए चुना है तो इसमें उनका भी कल्याण निश्चित रूप से होगा।