भूस्खलन प्रबंधन में अग्रणी: यूएलएमएमसी का विस्तार और कंसलटेंसी सेवाओं की नई पहल-Newsnetra
आपदा प्रबंधन विभाग के अंतर्गत संचालित उत्तराखण्ड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (यूएलएमएमसी) अपने कार्यक्षेत्र में विस्तार करते हुए विभिन्न विभागों को कंसलटेंसी सर्विसेज यानी परामर्श सेवाएं प्रदान करेगा। यूएलएमएमसी द्वारा दी जाने वाली सेवाओं की दरें बाजार की मौजूदा दरों से लगभग आधी होंगी। इसके लिए मानव संसाधन के साथ ही संस्थान तकनीकी विशेषज्ञता का दायरा भी बढ़ाने जा रहा है।
आज उत्तराखण्ड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र द्वारा इस संबंध में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न विभागों के अधिकारी शामिल हुए।
कार्यशाला में मुख्य अतिथि सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन ने बताया कि यूएलएमएमसी को स्थापित हुए लगभग दो वर्ष होने वाले हैं और केंद्र द्वारा उत्तराखंड में भूस्खलन न्यूनीकरण और प्रबंधन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि अब यह केंद्र विभिन्न विभागों के लिए डीपीआर निर्माण तथा अध्ययन, भूस्खलन प्रबंधन और न्यूनीकरण पर प्रशिक्षण, जलवैज्ञानिक सर्वेक्षण, भूभौतिकीय एवं भू तकनीकी सर्वेक्षण, न्यूनीकरण उपायों की डिजाइनिंग आदि कई अन्य कार्य भी करेगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जो भी कंसलटेंसी फर्में हैं, उनकी सेवाएं काफी महंगी हैं और यूएलएमएमसी बाजार दरों से आधी दरों पर यह सेवाएं प्रदान करेगा।
अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन श्री आनंद स्वरूप ने बताया कि यूएलएमएमसी विशेषज्ञ संस्थान बनने की ओर अग्रसर है। अभी तक देश के किसी अन्य राज्य में ऐसे संस्थान की स्थापना नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि पूरे देश में यूएलएमएमसी अकेला ऐसा संस्थान है, जो पूर्णतः भूस्खलन के अध्ययन और प्रबंधन को समर्पित है। उन्होंने बताया कि सरकार का उद्देश्य यूएलएमएमसी को विश्व स्तरीय संस्थान के रूप में स्थापित करना है।
यूएलएमएमसी के निदेशक श्री शांतनु सरकार ने संस्थान के उद्देश्यों और संस्थान द्वारा वर्तमान में संचालित कार्यों और विभिन्न परियोजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने उन सभी तकनीकों के बारे में बताया जिनका प्रयोग भूस्खलन प्रबंधन के क्षेत्र में काम किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि संस्थान द्वारा भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का जियोलॉजिकल, जियोफिजिकल, जियोटेक्निकल और बड़े शहरों के लिडार सर्वे किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि संस्थान द्वारा विभिन्न अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर के माध्यम से स्लोप स्टेबिलिटी एनालिसिस किया जा रहा है। वित्त नियंत्रक श्री अभिषेक आनंद ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यशाला में अपर सचिव श्री महावीर सिंह चौहान, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो. ओबैदुल्लाह अंसारी, यूप्रीपेयर के परियोजना निदेशक श्री एसके बिरला आदि उपस्थित थे।

