Uttarakhand Uniform Civil Code (UCC) -समान नागरिक संहिता को मिली कैबिनेट कि हरी झंडी, सीएम पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक हुई-Newsnetra
Uttarakhand UCC समान नागरिक संहिता पर विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट को प्रदेश कैबिनेट ने भी मंजूर कर दिया है। इसी के साथ इसे विधेयक के रूप में विधानसभा में पेश करने का रास्ता साफ हो गया है। समान नागरिक संहिता को मंजूरी प्रदान करने के लिए 24 घंटे के अंदर दूसरी बार रविवार शाम सीएम पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक हुई। सीएम आवास में आयोजित बैठक में मंत्रियों के सामने समान नागरिक संहिता पर विशेष प्रस्तुतिकरण दिया गया।
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जिसमें रिपोर्ट की पृष्ठभूमि, प्रमुख सिफारिशें और इसके असर को विस्तार से समझाया गया। करीब एक घंटे चली बैठक के बाद कैबिनेट ने रिपोर्ट पर आधारित विधेयक को मंजूरी प्रदान करते हुए, इसे विधानसभा में प्रस्तुत करने की हरी झंडी दे दी है। अब विधेयक मंगलवार को विधानसभा में पेश किए जाने की तैयारी है। इसके बाद इसे लोकसभा चुनाव से पूर्व कानून के रूप में उत्तराखंड में लागू किया जा सकता है।
रविवार की कैबिनेट में सिर्फ समान नागरिक संहिता का ही एजेंडा था, बैठक का आयोजन भी आनन फानन में किया गया। इससे पहले बीते सप्ताह ही दो फरवरी को विशेषज्ञ कमेटी ने चार खंड में अपनी बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। कांग्रेस ने विधानसभा सत्र की अविध बढ़ाने की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि यूसीसी पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए।
क्या क्या हैं ड्राफ्ट के संभावित प्रावधान
1- लड़कियों की विवाह की आयु बढ़ाई जाएगी, जिससे वे विवाह से पहले ग्रेजुएट हो सकें।
2- विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। ग्राम स्तर पर भी शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी।
3- पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग-अलग ग्राउंड हैं।
4- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी।
5- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा। अभी तक पर्सनल लॉ के मुताबिक लड़के का शेयर लड़की से अधिक है।
6- नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।
7- मेंटेनेंस: अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर होगा।
8- एडॉप्शन: सभी को मिलेगा गोद लेने का अधिकार। मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार, गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
9- हलाला और इद्दत पर रोक होगी।
10- लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा। ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा जिसका एक वैधानिक फॉर्मैट लग सकती है।
11- गार्जियनशिप- बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा।
12- पति-पत्नी के झगड़े की स्थिति में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है।
13- जनसंख्या नियंत्रण को अभी सम्मिलित नहीं किया गया है।” in hindi