देहरादून में श्रद्धा और भक्ति का उत्सव: श्री झंडे जी के आरोहण के साथ झंडे मेले का शुभारंभ-Newsnetra
देहरादून में हर साल आयोजित होने वाला झंडा मेला आध्यात्मिक आस्था और सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है। इस वर्ष भी, राजधानी देहरादून के श्री दरबार साहिब में श्री झंडे जी के आरोहण के साथ मेले का शुभारंभ हुआ। जयकारों और श्रद्धा के भाव से गूंजते दरबार साहिब में हजारों श्रद्धालु पहुंचे, जहां भक्ति और उत्साह का अनोखा संगम देखने को मिला।
श्री झंडे जी का आरोहण और परंपरा
परंपरा के अनुसार, इस वर्ष भी श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज की अगुवाई में श्री झंडे जी को उतारकर, विधिपूर्वक उनका आरोहण किया गया। श्री दरबार साहिब में सुबह सात बजे से यह प्रक्रिया प्रारंभ हुई, जिसमें पहले श्री झंडे जी को उतारा गया और दोपहर दो बजे से उनका आरोहण हुआ।
विशेष रूप से, इस वर्ष श्री झंडे जी के ध्वजदंड को बदला गया, जो कि इस आयोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। भक्तगण इस शुभ अवसर के साक्षी बनने के लिए दूर-दूर से देहरादून पहुंचे और पूरे श्रद्धाभाव से इस पवित्र क्षण का हिस्सा बने।

पूर्वी संगत की विदाई और गुरु मंत्र
इस आयोजन के दौरान, पूर्वी संगत की विदाई भी संपन्न हुई। इससे पहले श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज ने भक्तों को गुरु मंत्र प्रदान किया। उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि—
“जिस प्रकार सूर्य की किरणें सभी को समान रूप से प्रकाश और ऊष्मा प्रदान करती हैं, उसी प्रकार एक आध्यात्मिक गुरु अपनी कृपा और करुणा सभी पर समान रूप से रखते हैं।”
उन्होंने गुरु की महिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरु वही होते हैं जो हमारे अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर हमें सत्य और आध्यात्मिक प्रकाश की ओर ले जाते हैं।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और भक्ति का माहौल
झंडे मेले के शुभारंभ के साथ ही देहरादून में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। हर साल की तरह इस बार भी संगत बड़ी संख्या में उपस्थित रही और पूरे भक्तिभाव से श्री झंडे जी के आरोहण को निहारती रही।
यह मेला रामनवमी तक चलेगा, जिसमें विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन किए जाएंगे। इस मेले का महत्व केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि यह सद्भाव, सामाजिक एकता और परंपराओं का जीवंत उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।
झंडा मेला: आस्था और एकता का प्रतीक
झंडा मेला केवल एक धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि समाज में भाईचारे, सौहार्द और सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का एक महत्वपूर्ण पर्व भी है। इसमें देशभर से संगतें आती हैं और अपनी श्रद्धा व्यक्त करती हैं।
इस ऐतिहासिक मेले की लोकप्रियता और महत्व को देखते हुए स्थानीय प्रशासन भी व्यवस्था बनाए रखने में पूरी तरह तत्पर रहता है। इस आयोजन से न केवल धार्मिक बल्कि पर्यटन और स्थानीय व्यापार को भी बढ़ावा मिलता है, जिससे यह आयोजन देहरादून के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने का एक अभिन्न हिस्सा बन जाता है।
झंडा मेला, श्रद्धा, आस्था और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है। श्री झंडे जी के आरोहण के साथ शुरू हुआ यह पर्व आने वाले दिनों में भक्ति और सामाजिक समरसता का संदेश देगा। यह आयोजन न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत बना हुआ है।

