World Health Day: स्वास्थ्य के प्रति जन जागरण को समर्पित है विश्व स्वास्थ्य दिवस का वैश्विक आयोजन : डा. महेंद्र राणा-Newsnetra
विश्व के सबसे प्राचीन चिकित्सा विज्ञान आयुर्वेद में स्वास्थ्य को व्यक्ति की सबसे बहुमूल्य पूंजी बताते हुए कहा गया है कि “लाभानाम श्रेष्ठ आरोग्यम”। एक स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ्य मस्तिष्क का निर्माण हो सकता है और स्वस्थ मस्तिष्क से ही समृद्ध मानवता का विकास हो सकता है। व्यक्ति पूर्ण रूप से तभी स्वस्थ माना जाएगा जब वो शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से सहज महसूस करता हो। समग्र स्वास्थ्य शारिरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक सहजता की संतुलित अवस्था है और इसी जागरूकता को जन जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से हर वर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है ।
इस दिन स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक स्तर पर विश्व स्वास्थ्य दिवस का आयोजन होता है। यह दिवस महत्वपूर्ण स्वास्थ्य विषयों को उजागर करने और लोगों को अपने अच्छे स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए प्रोत्साहित करता है।
हाल ही में एक रिपोर्ट में WHO ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) स्वास्थ्य और उसके पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति पर जोर देता है, न कि केवल बीमारी या दुर्बलता की अनुपस्थिति पर। उनका मानना है कि सभी को स्वास्थ्य का उच्चतम संभव स्तर प्राप्त होना चाहिए और स्वास्थ्य सभी का मौलिक अधिकार है। वे साथ ही साथ विभिन्न कार्यक्रमों जैसे कि, 1. वैश्विक वैक्सीन कार्य योजना, 2. वैश्विक स्वास्थ्य आपातकालीन प्रतिक्रिया, 3. मानसिक स्वास्थ्य कार्य योजना, 4. तंबाकू नियंत्रण, 5. सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज और कई अन्य के माध्यम से इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में भी काम कर रहे हैं।
वैसे, वैश्विक स्तर पर, स्वास्थ्य की स्थिति एक जटिल और गतिशील विषय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन लगातार विभिन्न देशों और क्षेत्रों की स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी और मूल्यांकन करता है। वे विभिन्न स्वास्थ्य संकेतकों, जैसे जीवन प्रत्याशा, मृत्यु दर, बीमारी की व्यापकता और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच कर रिपोर्ट प्रदान करते हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सामाजिक-आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे और सांस्कृतिक प्रथाओं या किसी भी प्राकृतिक प्रकोप जैसे कारकों के कारण विभिन्न देशों और आबादी में स्वास्थ्य की स्थिति अलग-अलग हो सकती है। वर्तमान में युद्ध और कुछ प्राकृतिक प्रकोपों के कारण स्वास्थ्य की स्थिति बहुत जटिल है, जिसके कारण मृत्यु दर और स्वास्थ्य बार एक निश्चित बिंदु पर बढ़ गए हैं।
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट के माध्यम से भारत में स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में कुछ जानकारी दी है। भारत में कुछ प्रमुख स्वास्थ्य मुद्दों में तपेदिक और मलेरिया जैसी संक्रामक बीमारियों का उच्च बोझ, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में चुनौतियाँ और मधुमेह और हृदय संबंधी बीमारियों जैसी गैर-संचारी बीमारियों का बढ़ता प्रचलन और कोरोना जैसी कुछ प्राकृतिक आपदाएँ शामिल हैं। हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत ने टीकाकरण कवरेज और बाल मृत्यु दर को कम करने जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। भारत की जनसंख्या स्वास्थ्य गतिशीलता बहुआयामी है, जिसमें कई सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय कारक इसके लोगों के समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। भारत के स्वास्थ्य परिदृश्य की विशेषता दो-तरफा बीमारी का बोझ है, जिसमें संचारी रोगों का दीर्घकालिक प्रचलन और हृदय रोग, मधुमेह और श्वसन रोगों जैसे एनसीडी (गैर-संचारी रोग) का तेज़ी से बढ़ता प्रचलन है। तपेदिक, मलेरिया और एचआईवी/एड्स जैसी संक्रामक बीमारियाँ सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए प्रमुख खतरा बनी हुई हैं, खासकर गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में। मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य संकेतक चिंताजनक बने हुए हैं, जिनमें मातृ एवं नवजात मृत्यु दर तथा बाल कुपोषण की उच्च दरें शामिल हैं। तपेदिक, मलेरिया और अन्य संक्रामक रोग विश्व स्वास्थ्य सांख्यिकी 2021 के अनुसार, भारत में औसत जीवन प्रत्याशा 70.8 वर्ष है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार, भारत में शिशु मृत्यु दर (IMR) 2019 से 2021 तक प्रति 1,000 जन्मों पर 35 थी, जो 2015-16 की संख्या से 15 प्रतिशत कम है। इसके अलावा, भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए वैश्विक कार्य योजना 2013-2020 को अपनाने वाले पहले देशों में से एक रहा है, जिसका लक्ष्य 2025 तक 25 प्रतिशत एनसीडी में कमी लाना है।
खुद को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए कुछ सुझाव
स्वस्थ रहने के लिए आपको इन सुझावों का पालन करना चाहिए:
1. संतुलित आहार लें: अपने भोजन में फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और स्वस्थ वसा शामिल करें।
2. शारीरिक रूप से सक्रिय रहें: प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट तक नियमित व्यायाम या शारीरिक गतिविधि में शामिल हों।
3. तम्बाकू से बचें और शराब का सेवन सीमित करें: धूम्रपान छोड़ें और सेकेंड हैंड धूम्रपान से बचें। अगर आप शराब पीते हैं, तो संयम से पिएँ 4. सुरक्षित सेक्स करें: यौन संचारित संक्रमणों से बचने के लिए कंडोम का उपयोग करें और नियमित जाँच करवाएँ।
5. टीका लगवाएँ: संक्रामक रोगों से बचने के लिए टीकाकरण करवाते रहें।
6. अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करें: अपने हाथों को बार-बार धोएँ, खाँसते या छींकते समय अपना मुँह ढँकें और स्वच्छता बनाए रखें।
7. मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें: तनाव प्रबंधन, सामाजिक संपर्क और ज़रूरत पड़ने पर मदद माँगने के ज़रिए अपने भावनात्मक स्वास्थ्य का ख्याल रखें।
8. नियमित स्वास्थ्य जाँच करवाएँ: नियमित जाँच और जाँच के लिए स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों से मिलें।
लेखक वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक , आरोग्य मेडीसिटी इंडिया के संस्थापक एवम् भारतीय चिकित्सा परिषद् उत्तराखंड सरकार के पूर्व सदस्य हैं